अतुल्य भारत चेतना | संवाददाता
नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कैंची धाम क्षेत्र में शनिवार को एक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस ड्रिल का उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता, समन्वय और प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण करना था। मॉक ड्रिल में नैनीताल पुलिस, स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ), अग्निशमन विभाग, एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस), और क्विक रिएक्शन रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) ने संयुक्त रूप से भाग लिया। ड्रिल के दौरान नाटकीय रूप से दो ‘आतंकवादियों’ को मार गिराया गया, जबकि तीन को ‘गिरफ्तार’ किया गया। यह अभ्यास हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मॉक ड्रिल क्या होती है?
मॉक ड्रिल एक सिम्युलेटेड अभ्यास है, जो वास्तविक आपातकालीन स्थिति की नकल करके सुरक्षा बलों, प्रशासन और अन्य संबंधित विभागों की तैयारी का मूल्यांकन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी संकट, जैसे आतंकी हमला, प्राकृतिक आपदा, या अन्य सुरक्षा खतरे, से निपटने के लिए रणनीति, समन्वय, और त्वरित प्रतिक्रिया को परखना और सुधारना है। मॉक ड्रिल के दौरान काल्पनिक परिदृश्य बनाए जाते हैं, जिनमें शामिल कर्मियों को वास्तविक स्थिति की तरह कार्य करना होता है। यह अभ्यास न केवल कमियों को उजागर करता है, बल्कि प्रशिक्षण और संसाधनों के उपयोग को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।
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मॉक ड्रिल के प्रमुख उद्देश्य:
- तत्परता का मूल्यांकन: सुरक्षा बलों और अन्य एजेंसियों की त्वरित प्रतिक्रिया और निर्णय लेने की क्षमता को जांचना।
- समन्वय स्थापित करना: विभिन्न विभागों, जैसे पुलिस, अग्निशमन, आपदा प्रबंधन, और चिकित्सा सेवाओं के बीच समन्वय को मजबूत करना।
- कमियों की पहचान: संचार, संसाधन आवंटन, या रणनीति में कमियों को पहचानना और उन्हें सुधारना।
- जन जागरूकता: स्थानीय समुदाय को आपात स्थिति में व्यवहार और सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करना।
- प्रशिक्षण और अनुभव: कर्मियों को वास्तविक परिस्थितियों का अनुभव प्रदान करना, ताकि वे वास्तविक संकट में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
कैंची धाम मॉक ड्रिल का परिदृश्य
नैनीताल पुलिस को एक काल्पनिक सूचना प्राप्त हुई कि पांच संदिग्ध आतंकी कैंची धाम क्षेत्र में घुसपैठ करने की योजना बना रहे हैं। इस सूचना के आधार पर पूरे क्षेत्र को हाई अलर्ट पर रखा गया, और मॉक ड्रिल की शुरुआत हुई। ड्रिल के दौरान सुरक्षा बलों ने त्वरित और योजनाबद्ध कार्रवाई करते हुए निम्नलिखित कदम उठाए:
- क्षेत्र की घेराबंदी: पुलिस और क्यूआरटी ने कैंची धाम क्षेत्र को तुरंत सील कर दिया, ताकि ‘आतंकियों’ की आवाजाही को रोका जा सके।
- खोज और कार्रवाई: एटीएस और पुलिस की संयुक्त टीमों ने क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान दो ‘आतंकियों’ को नाटकीय रूप से मार गिराया गया।
- गिरफ्तारी: शेष तीन ‘आतंकियों’ को घेराबंदी और रणनीतिक कार्रवाई के बाद ‘गिरफ्तार’ कर लिया गया।
- बचाव और चिकित्सा सहायता: एसडीआरएफ और अग्निशमन विभाग ने काल्पनिक घायलों को सुरक्षित निकालने और प्राथमिक उपचार प्रदान करने का अभ्यास किया।
- संचार और समन्वय: सभी विभागों ने रेडियो, मोबाइल, और अन्य संचार माध्यमों के जरिए आपसी समन्वय बनाए रखा।
नैनीताल के एसपी क्राइम डॉ. जगदीश चंद्र ने बताया कि यह मॉक ड्रिल सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा, “यह अभ्यास यह सुनिश्चित करता है कि हम किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
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मॉक ड्रिल का प्रभाव और स्थानीय प्रतिक्रिया
मॉक ड्रिल के दौरान कैंची धाम क्षेत्र में कुछ समय के लिए सामान्य गतिविधियां प्रभावित हुईं। हालांकि, स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को पहले ही इस अभ्यास के बारे में सूचित कर दिया गया था, जिससे कोई बड़ी असुविधा नहीं हुई। स्थानीय निवासियों ने इस पहल की सराहना की और इसे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
कैंची धाम, बाबा नीम करौली महाराज के आश्रम के रूप में प्रसिद्ध है, और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। विशेष रूप से 15 जून को आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसे में, इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। मॉक ड्रिल जैसे अभ्यास इस चुनौती से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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व्यापक संदर्भ: भारत-पाकिस्तान तनाव और मॉक ड्रिल की प्रासंगिकता
यह मॉक ड्रिल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के संदर्भ में आयोजित की गई। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को संभावित खतरों के प्रति सतर्क रहने और मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए थे। नैनीताल पुलिस ने इन निर्देशों का पालन करते हुए कैंची धाम जैसे संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले क्षेत्र को चुना, ताकि वास्तविक स्थिति में बेहतर तैयारी सुनिश्चित की जा सके।
रिटायर्ड कर्नल वी.एन. थापर ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि मॉक ड्रिल न केवल सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करती है, बल्कि आम जनता को भी आपात स्थिति में सुरक्षित रहने के उपाय सिखाती है। उन्होंने युद्ध या आतंकी हमले की स्थिति में ब्लैकआउट, सायरन, और अन्य सुरक्षा प्रोटोकॉल के महत्व पर जोर दिया।
मॉक ड्रिल के अन्य उदाहरण
मॉक ड्रिल का आयोजन केवल आतंकी हमलों तक सीमित नहीं है। हाल के महीनों में भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न परिदृश्यों के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की गई हैं:
- धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश (अक्टूबर 2024): एनएसजी, कांगड़ा पुलिस, और अन्य विभागों ने पहाड़ी इलाकों में आतंकी हमले का सामना करने के लिए मॉक ड्रिल की। यह पहाड़ी क्षेत्र में पहली ऐसी ड्रिल थी।
- नाथद्वारा, राजस्थान (मई 2025): श्रीनाथजी मंदिर में एटीएस और पुलिस ने आतंकी हमले की स्थिति में बंधकों को छुड़ाने का अभ्यास किया।
- नैनीताल (अप्रैल 2025): एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने रोपवे में फंसे यात्रियों को बचाने के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की।
ये उदाहरण दर्शाते हैं कि मॉक ड्रिल विभिन्न परिस्थितियों और क्षेत्रों के लिए अनुकूलित की जा सकती हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकता है।
आपको बताते चलें नैनीताल के कैंची धाम में आयोजित मॉक ड्रिल ने सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और समन्वय को प्रदर्शित किया। यह अभ्यास न केवल तकनीकी और रणनीतिक तैयारी को मजबूत करता है, बल्कि स्थानीय समुदाय और श्रद्धालुओं में विश्वास भी पैदा करता है। वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए, इस तरह के अभ्यास और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। नैनीताल पुलिस और अन्य विभागों की इस पहल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।