अतुल्य भारत चेतना
अखिल सुर्यवंशी
पांढुरना। जिले के सौसर क्षेत्र में पशु तस्करी की घटनाएं चरम पर पहुंच गई हैं। ताजा मामला ग्राम सारदौनी के घाट के समीप सुनसान जंगल में सड़क किनारे एक मृत भैंस को फेंके जाने का है। युवा अनुसूचित जाति विभाग, पांढुरना के जिला अध्यक्ष गुलशन गजभिये ने इस घटना की जानकारी फोन पर प्राप्त होने के बाद प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। गजभिये के अनुसार, उनके गृह ग्राम सवरनी के पास स्थित ग्राम सारदौनी में पशु तस्करों ने मृत भैंस को जंगल में फेंक दिया। उन्होंने बताया कि सौसर क्षेत्र में गौवंश और अन्य पशुओं की तस्करी लगातार बढ़ रही है। तस्कर वाहनों में पशुओं को ले जाते हैं और यदि कोई पशु मर जाता है, तो उसे सुनसान इलाकों में फेंक दिया जाता है। गजभिये ने कहा, “यह कोई पहली घटना नहीं है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार, ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।”
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प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
गुलशन गजभिये ने इस मुद्दे को पहले भी जिला प्रशासन के समक्ष उठाया था। उन्होंने पांढुरना के कलेक्टर को गौ तस्करी के खिलाफ ज्ञापन सौंपा था, लेकिन उनके अनुसार, इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने प्रशासन की इस निष्क्रियता पर गहरी निराशा जताई और कहा, “लगातार हो रही पशु तस्करी पर शासन-प्रशासन कोई लगाम नहीं कस रहा। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।”
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संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख
गजभिये ने भारतीय संविधान के भाग 04 के अनुच्छेद 48 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के नीति निदेशक तत्वों में गायों, बछड़ों और अन्य दुधारू तथा वाहक पशुओं की नस्लों में सुधार और उनके वध पर प्रतिबंध के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की बात कही गई है। उन्होंने इस संवैधानिक प्रावधान का पालन करने की मांग की और कहा कि पशु तस्करी को रोकना सरकार की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है।
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कड़ी कार्रवाई की मांग
गुलशन गजभिये ने शासन-प्रशासन से पशु तस्करी में संलिप्त सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, “निर्दोष और निस्पृह प्राणियों की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि प्रशासन इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाता, तो युवा अनुसूचित जाति विभाग इस मुद्दे को और बड़े स्तर पर उठाएगा।

संपर्क और आगे की कार्रवाई
गजभिये ने ग्रामीणों और आम जनता से अपील की कि वे ऐसी घटनाओं की जानकारी तुरंत प्रशासन और संबंधित संगठनों तक पहुंचाएं। उनका कहना है कि सामूहिक प्रयासों से ही इस गंभीर समस्या का समाधान संभव है। यह घटना न केवल पशु तस्करी की गंभीरता को उजागर करती है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल उठाती है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या पांढुरना में पशु तस्करी पर प्रभावी अंकुश लग पाएगा।