शमशाबाद। शमशाबाद में आयोजित जिला स्तरीय जनसुनवाई कार्यक्रम में संजय सागर बांध परियोजना से जुड़ी गंभीर समस्याओं को लेकर टेल क्षेत्र के किसानों ने अपनी आवाज बुलंद की। इस जनसुनवाई में जिले के सभी प्रमुख अधिकारी और कलेक्टर उपस्थित थे। किसानों ने संजय सागर परियोजना की नहरों की सफाई न होने और रिनिया गांव के पास चल रहे सीसी (सीमेंट कंक्रीट) निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के उपयोग की शिकायत की। इस दौरान किसानों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कलेक्टर से दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए ठोस व्यवस्था की मांग की।
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जनसुनवाई में किसानों का प्रदर्शन
जिला जनसुनवाई कार्यक्रम शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र में आयोजित किया गया था। इस मौके पर टेल क्षेत्र के दर्जनों किसान अपनी समस्याओं को लेकर पहुँचे। अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखने के लिए किसान पहले फर्श पर बैठ गए, जिसे देखकर कलेक्टर ने तुरंत उन्हें कुर्सियों पर बैठने को कहा और उनकी समस्याओं को सुनने का आश्वासन दिया। किसानों ने अपनी शिकायत में बताया कि संजय सागर बांध परियोजना, जो क्षेत्र में सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है, की नहरों की बदहाल स्थिति और चल रहे निर्माण कार्यों में अनियमितताओं ने उनकी आजीविका को संकट में डाल दिया है।
संजय सागर बांध परियोजना की समस्याएँ
नहरों की सफाई में लापरवाही
किसानों ने बताया कि इस बार संजय सागर डैम में पानी की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद, नहरों की सफाई न होने के कारण टेल क्षेत्र तक पानी नहीं पहुँच सका। नटेरन सहित एक दर्जन से अधिक गाँवों के सैकड़ों किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला। इस वजह से उनकी फसलों को समय पर पानी नहीं मिल सका, और कई किसान तो पलेवा (खेत की पहली सिंचाई) तक के लिए तरस गए। परिणामस्वरूप, इस वर्ष फसल उत्पादन में भारी कमी आई, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। किसानों ने इस लापरवाही के लिए संजय सागर बांध परियोजना की अधिकारी प्रियंका भंडारी और एसडीओ कौशल जी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने मांग की कि इन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाए, ताकि परियोजना के प्रबंधन में सुधार हो सके।
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रिनिया गांव में घटिया सीसी निर्माण
किसानों ने यह भी शिकायत की कि संजय सागर परियोजना की मुख्य नहर, जो रिनिया गांव से होकर गुजरती है, में चल रहे सीसी निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ हो रही हैं। इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता इतनी खराब है कि:
- नहर की दीवारों में कई जगह दरारें आ गई हैं।
- सीसी से मिट्टी के ढेले निकल रहे हैं, जो निर्माण सामग्री की खराब गुणवत्ता को दर्शाता है।
- सीसी जगह-जगह चटक गई है, जिससे नहर के टूटने का खतरा बढ़ गया है।
- निर्माण में डस्ट (धूल) का उपयोग किया जा रहा है, जबकि इसके लिए रेत (सेंड) का उपयोग होना चाहिए था।
किसानों ने आरोप लगाया कि इस घटिया निर्माण के पीछे ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत है। उन्होंने बताया कि परियोजना के एस्टीमेट में लागत को जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है, जबकि वास्तविक कार्य में बहुत कम खर्च किया जा रहा है। इस तरह की अनियमितताओं से न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि किसानों को लंबे समय तक सिंचाई सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।
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किसानों की माँगें
- दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई: संजय सागर बांध परियोजना के जिम्मेदार अधिकारियों, विशेष रूप से प्रियंका भंडारी और एसडीओ कौशल जी, के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। किसानों ने मांग की कि इन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाकर दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाए।
- निर्माण कार्य की जाँच: रिनिया गांव में चल रहे सीसी निर्माण कार्य की गहन जाँच कराई जाए। इसके लिए स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम गठित की जाए, जो निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और एस्टीमेट की सत्यता की जाँच करे।
- नहरों की सफाई और रखरखाव: भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए नहरों की नियमित सफाई और रखरखाव की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। किसानों ने मांग की कि टेल क्षेत्र तक पानी की निर्बाध आपूर्ति के लिए एक स्थायी तंत्र विकसित किया जाए।
- आर्थिक नुकसान की भरपाई: इस वर्ष फसल न होने से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।
कलेक्टर की प्रतिक्रिया
किसानों की शिकायत सुनने के बाद कलेक्टर ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि:
- रिनिया गांव में चल रहे सीसी निर्माण कार्य की जाँच कराई जाएगी। यदि निर्माण कार्य में अनियमितताएँ पाई गईं, तो उसे सही कराया जाएगा।
- नहरों की सफाई और पानी की आपूर्ति से संबंधित शिकायतों का समाधान करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाएँगे।
- दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर ने यह भी कहा कि वह स्वयं इस मामले की निगरानी करेंगे, ताकि किसानों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।
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ज्ञापन सौंपने वाले किसान
ज्ञापन सौंपने वाले किसानों में टेल क्षेत्र के प्रमुख किसान शामिल थे, जिनमें महेंद्र सिंह, राजा रघुवंशी, नितेश नामदेव, और बृजेंद्र सिंह रघुवंशी आदि प्रमुख थे। इन किसानों ने एकजुट होकर अपनी समस्याओं को जिला प्रशासन के समक्ष रखा और समाधान की माँग की।
व्यापक परिप्रेक्ष्य: नहरों में घटिया निर्माण की समस्या
यह पहला अवसर नहीं है जब मध्य प्रदेश में नहरों के निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग की शिकायत सामने आई हो। अतीत में भी कई परियोजनाओं, जैसे बनछोड़ सिंचाई जलाशय परियोजना (रायसेन, 2015), समनापुर जलाशय परियोजना (देवरीकला, 2020), और कोलार परियोजना (निपानिया, 2022) में इसी तरह की समस्याएँ देखी गई हैं। इन मामलों में भी किसानों ने ठेकेदारों और अधिकारियों पर घटिया सामग्री के उपयोग और लापरवाही का आरोप लगाया था, जिसके परिणामस्वरूप नहरें समय से पहले क्षतिग्रस्त हो गईं और किसानों को सिंचाई सुविधा से वंचित होना पड़ा। संजय सागर बांध परियोजना का यह मामला भी इसी कड़ी का हिस्सा प्रतीत होता है। यहाँ तक कि 2021 में भी संजय सागर की नहर टूटने की घटना सामने आई थी, जिसके कारण नटेरन और शमशाबाद के आसपास के 12 से अधिक गाँवों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि नहर परियोजनाओं में गुणवत्ता और जवाबदेही की कमी एक दीर्घकालिक समस्या है, जिसका समाधान करने के लिए ठोस नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
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संजय सागर बांध परियोजना से जुड़ी समस्याओं ने एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उजागर किया है। टेल क्षेत्र के किसानों की शिकायतें न केवल उनकी आजीविका से जुड़ी हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि सरकारी परियोजनाओं में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है। कलेक्टर के आश्वासन और जाँच के निर्देश एक सकारात्मक कदम हैं, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या इन शिकायतों का वास्तविक समाधान हो पाएगा। किसानों की माँग है कि न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान किया जाए, बल्कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए एक स्थायी तंत्र विकसित किया जाए। यदि प्रशासन इस मामले में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करता है, तो यह न केवल संजय सागर परियोजना से प्रभावित किसानों को राहत देगा, बल्कि अन्य परियोजनाओं के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा।