300 महिलाओं को मातृ और शिशु स्वास्थ्य पर दिया प्रशिक्षण
अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
मथुरा। कान्हा की नगरी मथुरा में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित एक विशेष कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के अंतर्गत “सेहत सहेली” नाम की एक पहल चलाई गई। जिसमें विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी मुहिम का समापन समारोह मंगलवार के दिन रखा गया, जिसमें मथुरा की लोकप्रिय सांसद हेमा मालिनी ने शिरकत की। यह आयोजन महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा महिलाओं को समाज में नेतृत्व की भूमिका के लिए सशक्त करने के उद्देश्य से यह आयोजन किए गए।


कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थित दर्ज की एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड उत्तरी क्षेत्र पाइपलाइंस के कार्यकारी निदेशक शैलेश तिवारी व आईओसीएल-एनआरपीएल के महाप्रबंधक धर्मेन्द्र खन्ना, तथा उप महाप्रबंधक भानु प्रकाश पोद्दार भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मथुरा जिले के 18 गाँवों की 300 महिलाओं को “सेहत सहेली” मुहिम के रूप में प्रशिक्षित कर उन्हें मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, पोषण व स्वच्छता के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने के लिए तैयार करना था। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाली 300 सेहत सेहलियों को नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएसडीसी) प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
सीएसआर कार्यक्रम के अंतर्गत गर्भवती और धात्री महिलाओं को “मातृ वात्सल्य पोषण किट” भी वितरित की गई, जो कि उनके पोषण एवं स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम में मथुरा जिले के उन ग्राम प्रधानों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने इस पहल में सक्रिय भागीदारी निभाई और इसे ज़मीनी स्तर तक पहुँचाने में सहयोग दिया। साथ ही, शिक्षा, स्वास्थ्य, कला, सामाजिक सेवा एवं महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली मथुरा की प्रेरणादायक महिलाओं को भी समारोह में सम्मानित किया गया। सांसद हेमा मालिनी ने अपने संबोधन में कहा कि, देश के “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सपना है – ‘नारी शक्ति को आगे बढ़ाना है, तभी नया भारत बनेगा।’
वोहा जैसी पहल इस दृष्टिकोण को साकार कर रही हैं। जब एक महिला जागरूक होती है, तो पूरा समाज प्रगति करता है।” इंडियन ऑयल की इस पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि जब उद्योग, सरकार और समाज मिलकर कार्य करते हैं, तो सामाजिक बदलाव संभव होता है। यह कार्यक्रम केवल एक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि समाज में आंदोलन की एक शुरुआत है।