माँ स्कंदमाता नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। ये माँ दुर्गा का पांचवां स्वरूप हैं और भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में जानी जाती हैं। माँ स्कंदमाता को शक्ति, करुणा और ममता का प्रतीक माना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को संतान सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
माँ स्कंदमाता की स्तुति
माँ स्कंदमाता की स्तुति भक्तों द्वारा उनके गुणों और महिमा का गुणगान करने के लिए की जाती है। निम्नलिखित है एक पारंपरिक स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
अर्थ: हे देवी, जो सभी प्राणियों में स्कंदमाता के रूप में विराजमान हैं, आपको बार-बार नमस्कार। आप सिंहासन पर विराजमान हैं, आपके हाथ कमल से सुशोभित हैं, हे शुभ देने वाली माँ स्कंदमाता, आपकी कृपा सदा बनी रहे।
माँ स्कंदमाता का मंत्र
माँ स्कंदमाता की पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जाता है, जो उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है:
- बीज मंत्र:
ॐ देवी स्कंदमातायै नमः
(Om Devi Skandamatayai Namah) - ध्यान मंत्र:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
जाप विधि: इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। माला का प्रयोग करते हुए शांत मन से ध्यान करना उत्तम माना जाता है।
नवरात्र में माँ स्कंदमाता की महिमा
नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि माँ स्कंदमाता अपने भक्तों को संतान सुख और मातृत्व का आशीर्वाद देती हैं। वे कमल के फूल पर विराजमान होती हैं, इसलिए इन्हें “पद्मासना” भी कहा जाता है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में लिया हुआ है, एक हाथ में कमल का फूल है, और अन्य दो हाथों से वे भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
- प्रतीकात्मक महत्व: माँ स्कंदमाता शुद्धता और शांति की प्रतीक हैं। इनकी पूजा से मन की अशुद्धियाँ दूर होती हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- पूजा विधि: इस दिन सफेद या पीले वस्त्र पहनकर माँ को केले का भोग लगाया जाता है। साथ ही, दूध से बनी मिठाइयाँ भी अर्पित की जाती हैं।
- लाभ: माँ स्कंदमाता की कृपा से बुद्धि, विवेक और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि इनकी पूजा से ग्रहों के दोष, विशेष रूप से बुध ग्रह से संबंधित समस्याएँ दूर होती हैं।
माँ स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का संचार होता है। नवरात्रि के इस पावन दिन पर उनकी पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ करनी चाहिए।
नमामि स्कन्दमातरं स्कन्धधारिणीम्स।
मग्रतत्त्वसागरामपारपारगहराम्।।
आदिशक्ति माँ दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा-अर्चना से उन्नति एवं प्रगति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।जगज्जननी से प्रार्थना है कि आपका आशीर्वाद सकल संसार पर बना रहे, सभी का कल्याण हो।
जय माँ स्कन्दमाता!