हुरियारिनों ने हुरियारों पर जमकर बरसाईं प्रेम पगी लाठियां
अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
मथुरा। वंशी अवतार श्रीहित हरिवंश चन्द्र महाप्रभु की जन्मभूमि (श्रीजी मंदिर) बाद ग्राम में रंग पंचमी के दिन फूलडोल-हुरंगा का आयोजन किया गया। हुरंगा में देशभर के कई प्रांतों से श्रद्घालु आए, जिन्होंने ढ़ोल उत्सव में ब्रज के साधु-संतों व श्रीजी के दर्शन किए एवं महाप्रभुजी की जन्मभूमि में सखी सहचरियों ने अद्भुत नृत्य कर श्यामा-श्याम को रिझाया। हिताचार्य पीठ श्रीजी मंदिर बाद ग्राम के महंत दम्पति शरण महाराज ने बताया कि महामंडलेश्वर लाड़िली शरण महाराज (रासमण्डल) वृन्दावन से आए महाराजजी के सानिध्य में परंपरागत चले आ रहे भव्य फूलडोल-हुरंगा का आयोजन किया गया है। हुरंगा में राधावल्लभ मंदिर के तिलकायत अधिकारी राधेश लाल गोस्वामी, गोविन्द लाल गोस्वामी, श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज, महंत फूलडोल दास महाराज, महंत सुंदरदास दास महाराज सहित वृन्दावन धाम व ब्रज मंडल के अन्य स्थानों से आए साधु-संतों ने फूलडोल-हुरंगा में भक्तों को आशीर्वचन दिए।




मंदिर प्रांगण में सुबह से ही होरी की धमार हुई एवं बधाई गायन व समाज गायन के माध्यम से तरह-तरह के उत्सव मनाकर फाग महोत्सव मनाया गया। श्रीजी मंदिर बाद ग्राम के मीडिया प्रभारी दिनेश सिंह तरकर ने कहा कि हमारे ब्रज में बसंत पंचमी के दिन मान सरोवर से शुरू हुआ फाग महोत्सव हरिवंश महाप्रभु की जन्मभूमि में रंग पंचमी के दिन फूलडोल-हुरंगा के साथ विश्राम होता है। मंदिर पर हुरंगा में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें संध्या के समय बाद ग्राम के समाजियों द्वारा होरी के रसिया गाए जाते हैं एवं होरी के रसियाओं पर महिलाओं व सखियां भी जमकर नृत्य करती हैं। हुरियारिनें भी हुरियारों संग हुरंगा खेलने के लिए सज-धजकर मंदिर प्रांगण में पहुंचती हैं। हुरंगा में हुरियारिनों ने हुरियारों पर जमकर प्रेम-पगी छड़ियां व लाठियां बरसाईं, हुरियारों ने भी जमकर प्रेम-पगी लाठियां खाईं और कहा कि हुरियारिनों की यह प्रेम-पगी लाठियां खाने का अवसर उन्हें होली व हुरंगा में ही मिलता है। श्रीजी मंदिर पर सैकड़ों वर्षों से फूलडोल-हुरंगा की प्राचीन परंपरा चली आ रही है, जिसका बखूबी निर्वहन किया जा रहा है।