AAP MP Mittal Praises Center for Renaming Colonial Era Places
भारत में औपनिवेशिक काल के दौरान रखे गए स्थानों और सड़कों के नामों को बदलने का अभियान तेज हो गया है। केंद्र सरकार की इस पहल की जमकर सराहना हो रही है, खासकर आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद मित्तल द्वारा। उन्होंने सरकार की इस नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कदम भारतीय संस्कृति और इतिहास को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
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औपनिवेशिक नामों को बदलने का महत्व
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में कई प्रमुख स्थानों, सड़कों और इमारतों के नाम ब्रिटिश अधिकारियों, वायसरायों और अन्य पश्चिमी प्रभावों के आधार पर रखे गए थे। स्वतंत्रता के 77 वर्षों बाद भी कई जगहें अपने पुराने नामों से जानी जाती थीं, जो भारतीय पहचान और गौरव को प्रतिबिंबित नहीं करती थीं।
सांसद मित्तल ने कहा कि इन नामों को बदलना हमारी सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने जैसा है। उन्होंने इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे “औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति” की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
कौन-कौन से नाम बदले गए?
सरकार ने हाल के वर्षों में कई प्रसिद्ध स्थानों और संस्थानों के नाम बदले हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- राजपथ → कर्तव्य पथ: यह परिवर्तन जनता को अपने कर्तव्यों की याद दिलाने के लिए किया गया।
- औरंगजेब रोड → डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रोड: एक क्रूर शासक के नाम को बदलकर देश के वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति को सम्मान दिया गया।
- दलहौजी रोड → दरियागंज मार्ग: ब्रिटिश गवर्नर-जनरल के नाम को हटाकर एक ऐतिहासिक भारतीय संदर्भ दिया गया।
- मुंबई के विक्टोरिया टर्मिनस → छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस: मराठा योद्धा को सम्मान देने के लिए यह नाम बदला गया।
AAP MP मित्तल की प्रतिक्रिया
AAP सांसद मित्तल ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिससे युवा पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत की जानकारी मिलेगी। उन्होंने केंद्र सरकार की इस पहल को समर्थन देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार भी इसी दिशा में काम कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी राज्य सरकारों को इस अभियान में भाग लेना चाहिए ताकि भारत के सांस्कृतिक गौरव को और बढ़ावा मिल सके।
राजनीतिक विवाद और विपक्ष की प्रतिक्रिया
हालांकि, इस फैसले पर सभी राजनीतिक दल सहमत नहीं हैं। कुछ विपक्षी नेताओं का मानना है कि नाम बदलने की बजाय सरकार को बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “सिर्फ नाम बदलने से इतिहास नहीं बदलेगा, हमें देश की आर्थिक स्थिति सुधारने पर भी ध्यान देना होगा।”
वहीं, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार को नाम बदलने की बजाय रोजगार और शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
भविष्य की योजनाएँ और जनता की राय
सरकार ने संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में और अधिक स्थानों के नाम बदले जा सकते हैं, खासकर वे जो औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाते हैं।
जनता के बीच इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करेगा, जबकि कुछ का कहना है कि यह केवल प्रतीकात्मक बदलाव है और इससे कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं आएगा।
निष्कर्ष
AAP सांसद मित्तल द्वारा केंद्र सरकार की इस पहल की सराहना यह दर्शाती है कि कुछ बदलावों को राजनीतिक सीमाओं से परे जाकर देखा जा सकता है। औपनिवेशिक नामों को हटाकर भारतीय पहचान को पुनः स्थापित करना निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके साथ ही रोजगार, शिक्षा, और बुनियादी विकास पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। यह बदलाव सिर्फ नामों तक सीमित न रहे, बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करे।