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अतुल्य भारत चेतना | सतीश कुमार मौर्य (ब्यूरो चीफ)

बॉलीवुड के चर्चित फिल्म निर्माता और निर्देशक अनुराग कश्यप एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। इस बार विवाद की जड़ उनकी आगामी फिल्म फुले और ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी है। इस बयान ने न केवल सोशल मीडिया पर तीखी बहस को जन्म दिया, बल्कि ब्राह्मण संगठनों और सामाजिक समूहों में व्यापक आक्रोश भी पैदा किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुषंगिक संगठन के राष्ट्रीय महासचिव सर्वेश पाठक ने अनुराग कश्यप को खुला चैलेंज देते हुए उनके बयान की कड़ी निंदा की और ब्राह्मण समाज से उनकी फिल्मों का बहिष्कार करने की अपील की। इस लेख में हम इस पूरे विवाद, अनुराग कश्यप के बयान, सर्वेश पाठक की प्रतिक्रिया और इसके सामाजिक प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं।

विवाद की शुरुआत: अनुराग कश्यप का बयान

विवाद की शुरुआत तब हुई जब अनुराग कश्यप ने अपनी आगामी फिल्म फुले के ट्रेलर रिलीज के बाद उत्पन्न हुए विवाद पर प्रतिक्रिया दी। यह फिल्म समाज सुधारक दंपती ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है, जिसका निर्देशन अनंत महादेवन ने किया है। फिल्म का ट्रेलर 10 अप्रैल 2025 को रिलीज हुआ, जिसके बाद महाराष्ट्र के कुछ ब्राह्मण संगठनों ने आरोप लगाया कि फिल्म में ब्राह्मण समुदाय को नकारात्मक और अपमानजनक तरीके से चित्रित किया गया है। इसके चलते सेंसर बोर्ड ने फिल्म में कुछ बदलाव सुझाए, और इसकी रिलीज डेट को 11 अप्रैल से टालकर 25 अप्रैल 2025 कर दिया गया।

इस देरी और आलोचनाओं से नाराज अनुराग कश्यप ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने सेंसर बोर्ड और ब्राह्मण समुदाय पर निशाना साधा। उनकी पोस्ट में लिखा था:

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“धड़क 2 की स्क्रीनिंग के दौरान सेंसर बोर्ड ने कहा कि मोदी जी ने भारत में जाति व्यवस्था खत्म कर दी है। इसी आधार पर संतोष फिल्म भारत में रिलीज नहीं हुई। अब ब्राह्मणों को फुले से दिक्कत है। जब जाति व्यवस्था ही नहीं है, तो ब्राह्मण कहां से आए? अगर जातिवाद नहीं है, तो ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले क्यों थे?”

इस पोस्ट पर एक इंस्टाग्राम यूजर ने टिप्पणी की, “ब्राह्मण तुम्हारे बाप हैं, जितना तुम्हारी उनसे सुलगती है, उतना वे तुम्हारी सुलगाएंगे।” इसके जवाब में अनुराग कश्यप ने कथित तौर पर लिखा:

“ब्राह्मण पे मैं मूतूंगा… कोई प्रॉब्लम?”

यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई और ब्राह्मण समुदाय में भारी आक्रोश पैदा हुआ। कई लोगों ने इसे अपमानजनक, अशोभनीय और समाज में नफरत फैलाने वाला बताया।

ब्राह्मण समाज का आक्रोश और कानूनी कार्रवाई

अनुराग कश्यप की इस टिप्पणी के बाद देशभर में उनके खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। ब्राह्मण संगठनों और व्यक्तियों ने न केवल सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की, बल्कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू की। कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:

  1. इंदौर में शिकायत और विरोध:
    • इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता नीरज याग्निक ने पलासिया थाने में अनुराग कश्यप के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने FIR की मांग की। याग्निक ने कहा कि कश्यप की टिप्पणी सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली है और देश में तनावपूर्ण माहौल में हिंसा भड़का सकती है।
    • परशुराम सेना ने इंदौर में अनुराग कश्यप का पुतला जलाया और उनकी टिप्पणी की निंदा की। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि कश्यप इंदौर आए, तो उनका मुंह काला किया जाएगा।
  2. दिल्ली में शिकायत:
    • दिल्ली के तिलक मार्ग थाने में उज्ज्वल गौड़ ने अनुराग कश्यप के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने टिप्पणी को “घिनौनी, अशोभनीय और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाली” बताया।
  3. मुंबई में पुलिस कमिश्नर के समक्ष शिकायत:
    • बॉम्बे हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता ने मुंबई पुलिस कमिश्नर के समक्ष शिकायत दर्ज की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देकर स्वतः संज्ञान लेने की मांग की गई।
  4. जयपुर में FIR:
    • जयपुर में अनुराग कश्यप के खिलाफ FIR दर्ज की गई, जिसने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई को और गंभीर बना दिया।
  5. कानपुर में कोर्ट में याचिका:
    • कानपुर में अधिवक्ता आलोक कुमार मिश्रा ने जिला न्यायालय में अनुराग कश्यप के खिलाफ परिवाद दायर किया, जिसमें उनकी टिप्पणी को दंडनीय अपराध बताया गया। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 23 मई 2025 की तारीख तय की है।

सर्वेश पाठक का खुला चैलेंज

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भाजपा के अनुषंगिक संगठन के राष्ट्रीय महासचिव सर्वेश पाठक ने अनुराग कश्यप के बयान की कड़ी निंदा करते हुए उन्हें खुला चैलेंज दिया। पाठक ने अपने बयान में कहा:

“जिस प्रकार आचार्य चाणक्य ने आपके समाज को जमीन से उठाकर राजा बनाने का काम किया था, जिस समाज ने देश की मिट्टी को चमन का एहसास दिया है, जिस समाज के बनाए गए बर्तनों को हम त्योहारों में प्रयोग करते हैं, अरे मूर्ख, मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि हमारे समाज को तुम इतना गया-गुजरा मत समझो। हमारा बुद्धिजीवी समाज सब समझता है। तुम्हारे अंदर अगर भुखमरी की नौबत आई थी, तो तुम समाज के सामने झुकते, तो तुम पर दया की जाती। लेकिन तुमने जो किया है, उसके लिए एक अर्ज है: ‘काटकर गैरों की टांगे, खुद लगा लेते हैं लोग, इस शहर में इस कदर भी कद बढ़ा लेते हैं लोग।’

पाठक ने अनुराग कश्यप से सवाल किया कि क्या वह अपनी यह टिप्पणी ब्राह्मण समुदाय से आने वाले बॉलीवुड के दिग्गज कलाकारों जैसे पियूष मिश्रा, मनोज वाजपेयी और पंकज त्रिपाठी के सामने दोहरा सकते हैं। उन्होंने अनुराग पर भारतीय संस्कृति और मूल्यों का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया और कहा:

“ब्राह्मणों का सहारा लेकर करोड़ों कमाने वाले अनुराग कश्यप अब ब्राह्मणों का सहारा लेकर अपनी फिल्म हिट कराना चाहते हैं। मैं पूरे ब्राह्मण समाज से निवेदन करता हूं कि इस मामले को ज्यादा तूल न देते हुए इस व्यक्ति की फिल्मों का बहिष्कार करें। दुनिया केवल वहीं तक पहुंच पाई है, जहां तक ब्राह्मण की दृष्टि पहुंची है। ब्राह्मण शास्त्र और शस्त्र दोनों में निपुण होता है।”

ब्राह्मण संगठनों का विरोध और इनाम की घोषणा

अनुराग कश्यप के बयान के खिलाफ कई ब्राह्मण संगठनों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किए। शनिवार, 19 अप्रैल 2025 को चाणक्य सेना ने एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की, जिसमें सर्व ब्राह्मण महासभा, ब्राह्मण सेवा संघ, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा, विश्व ब्राह्मण परिषद और अखिल भारतीय ब्राह्मण संघ जैसे संगठनों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में चाणक्य सेना के मुख्य संरक्षक पंडित सुरेश मिश्रा ने कहा:

“ऐसे लोगों को सबक सिखाना जरूरी है जो समाज को बांटने और नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।”

चाणक्य सेना ने यह भी घोषणा की कि जो कोई भी अनुराग कश्यप के चेहरे पर कालिख पोतेगा, उसे 1 लाख रुपये का नकद इनाम दिया जाएगा। संगठन ने इसे एक प्रतीकात्मक विरोध बताया, जिसका उद्देश्य समाज की भावनाओं से खिलवाड़ करने वालों को चेतावनी देना है।

अनुराग कश्यप की माफी

विवाद के बढ़ने और उनके परिवार को कथित तौर पर “हत्या और बलात्कार की धमकियां” मिलने के बाद अनुराग कश्यप ने शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025 को इंस्टाग्राम पर माफी मांगी। उन्होंने लिखा:

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“यह मेरी माफी है, मेरे पूरे पोस्ट के लिए नहीं, बल्कि उस एक पंक्ति के लिए, जिसे संदर्भ से काटकर पेश किया गया और जिसके चलते घृणा फैल रही है। कोई भी बात या बयान इस लायक नहीं कि आपके परिवार, दोस्तों, बेटियों को बलात्कार और जान से मारने की धमकी मिले।”

22 अप्रैल 2025 को कश्यप ने एक बार फिर माफी मांगी, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि वह गुस्से में “मर्यादा भूल गए” थे। उन्होंने कहा:

“वो समाज जिसके तमाम लोग मेरी जिंदगी में रहे हैं, आज भी हैं और उन्होंने बहुत योगदान दिया है, आज वो सब मुझसे आहत हैं। मेरा परिवार मुझसे आहत है। बहुत सारे बुद्धिजीवी, जिनकी मैं इज्जत करता हूं, वे भी मेरे उस गुस्से में बोलने के तरीके से आहत हैं। मैंने ऐसी बात करके अपनी ही बात को मुद्दे से भटका दिया।”

हालांकि, उनकी माफी को कई लोगों ने औपचारिकता मात्र बताया और कहा कि यह नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती।

फिल्म फुले और सेंसर बोर्ड का रुख

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फिल्म फुले में प्रतीक गांधी और पत्रलेखा ने ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की भूमिकाएं निभाई हैं। यह फिल्म 19वीं सदी में लड़कियों की शिक्षा और सामाजिक सुधार के लिए फुले दंपती के संघर्ष को दर्शाती है। ट्रेलर रिलीज के बाद ब्राह्मण संगठनों ने आरोप लगाया कि फिल्म में उनके समुदाय का गलत चित्रण किया गया है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म से कुछ शब्दों जैसे “मांग”, “महर”, “पेशवाई” और डायलॉग “3000 साल पुरानी गुलामी” को हटाने या बदलने का निर्देश दिया।

अनुराग कश्यप ने सेंसर बोर्ड के इस रुख की आलोचना करते हुए कहा कि यह सामाजिक सच्चाइयों को दबाने की कोशिश है। उन्होंने पंजाब 95, तीस और धड़क 2 जैसी अन्य फिल्मों का उदाहरण देते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड संवेदनशील विषयों पर बनी फिल्मों को रिलीज होने से रोक रहा है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस विवाद ने न केवल सामाजिक बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी हलचल मचाई। भाजपा नेता और पूर्व बिग बॉस प्रतियोगी तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने अनुराग कश्यप के खिलाफ FIR और गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा:

“मैं मुंबई पुलिस से अनुरोध करता हूं कि अनुराग कश्यप के खिलाफ एफआईआर दर्ज करें और उन्हें गिरफ्तार करें। उनके जैसे मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति समाज के लिए खतरा हैं और उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाए।”

बॉलीवुड में भी कुछ हस्तियों ने अनुराग कश्यप की आलोचना की। अभिनेत्री पायल घोष ने कहा कि कश्यप को बॉलीवुड से दूर रहना चाहिए, क्योंकि “इंडस्ट्री उनके बिना खुश है।”

ब्राह्मण समाज का योगदान और संदर्भ

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सर्वेश पाठक ने अपने बयान में ब्राह्मण समाज के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने आचार्य चाणक्य का उदाहरण देते हुए कहा कि ब्राह्मण समाज ने हमेशा ज्ञान, संस्कृति और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पाठक ने यह भी जोड़ा कि ब्राह्मण समाज न केवल शास्त्रों में, बल्कि शस्त्रों में भी निपुण रहा है, और इसका इतिहास गौरवशाली है।

ब्राह्मण रक्षा मंच ने फिल्म फुले पर प्रतिबंध की मांग की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि यह फिल्म ब्राह्मण समुदाय को बदनाम करने की कोशिश है।

निष्कर्ष

अनुराग कश्यप का ब्राह्मण समुदाय पर दिया गया विवादित बयान और उसका बाद का माफीनामा इस बात का प्रतीक है कि सोशल मीडिया के युग में एक छोटी सी टिप्पणी भी बड़े सामाजिक और कानूनी विवाद को जन्म दे सकती है। सर्वेश पाठक का खुला चैलेंज और ब्राह्मण संगठनों का विरोध दर्शाता है कि समुदाय अपनी गरिमा और सम्मान के प्रति कितना संवेदनशील है। दूसरी ओर, अनुराग कश्यप का तर्क कि उनकी टिप्पणी को गलत संदर्भ में लिया गया, और सेंसर बोर्ड की सेंसरशिप नीतियों पर उनकी आलोचना, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक संवेदनशीलता के बीच टकराव को उजागर करती है।

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ब्राह्मण समाज से अनुराग कश्यप की फिल्मों के बहिष्कार की अपील और चाणक्य सेना जैसे संगठनों की इनाम की घोषणा इस विवाद को और जटिल बनाती है। यह देखना बाकी है कि यह विवाद फिल्म फुले की रिलीज और अनुराग कश्यप के करियर पर क्या प्रभाव डालेगा। समाज के सभी वर्गों से अपेक्षा है कि वे इस मुद्दे पर संयम और संवाद के रास्ते पर चलें, ताकि सामाजिक सौहार्द बना रहे।

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