अतुल्य भारत चेतना
पतित यादव
छुईहा/बागबाहरा। रंगों के त्योहार…होली से पहले होलिका दहन एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है और यह होली की पूर्व संध्या पर मनाया जाता है. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिका दहन का ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व है जिसे गांव व शहरों को जरूर समझना चाहिए क्योंकि होलिका दहन त्योहार का महत्व युवा वर्ग के लोग इतना आसानी से समझ नही सकते है। जो होली के जीवंत त्योहार की पूर्व संध्या पर होने वाला एक बहुत ही खास है. होलिका दहन का गहरा प्रतीकात्मक महत्व है जो हमें बुराई पर अच्छाई की जीत और विश्वास की शक्ति की याद दिलाता है।
होलिका दहन के पीछे की कहानी हिंदू पौराणिक कथाओं में है. यह हमें प्रह्लाद के बारे में बताती है जो युवा राजकुमार भगवान विष्णु का सच्चा भक्त थे. उनके पिता राजा हिरण्यकश्यप अत्याचारी थे जो चाहते थे कि हर कोई उन्हें भगवान के रूप में पूजे लेकिन
प्रह्लाद ने मना कर दिया और भगवान विष्णु के प्रति भक्ति की बात कही। क्रोधित होकर राजा ने अपने बेटे को दंडित करने के लिए कई तरीके खोजे और फिर उसने अपनी बहन होलिका की ओर रुख किया..जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके पास एक जादुई शक्ति थी जिससे वह आग से बच सकती थी लेकिन होलिका आग की लपटों में जलकर मर गई जबकि प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति के कारण बच गए. इस घटना को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
इसकी याद में पूरे भारत में लोग होली से पहले की रात को अलाव जलाते हैं। इन अलावों को होलिका दहन के रूप में जाना जाता है और वहीं लोग अपने जीवन में नकारात्मकता, बुराई और बुरे प्रभावों को जलाते हैं. यह लोगों के लिए एक साथ आने, जश्न मनाने और अगले दिन होली के आनंद और रंगों की तैयारी में अपने दिल और दिमाग को साफ करने का समय है।
होलिका दहन हमें सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो…अंत में अच्छाई, सच्चाई और विश्वास की हमेशा जीत होती है। आइए हम इस दिन को खुशी, एकता और सकारात्मकता के साथ मनाएं।
इसी परंपरा को प्रतिवर्ष के भांति इस वर्ष भी ग्राम छुईहा में बड़ी धूमधाम से नगाड़ा व डीजे में गांव के सभी लोग नाचते कूदते रंग गुलाल खेल गया जिसमें उपस्थित ग्राम के प्रमुख सेत राम चक्रधारी, गिरधर यादव, प्रहलाद साहू, कुमार दीवान, रामलाल दीवान, सर्वेलाल, केश राम दीवान, सबेस दीवान (शिक्षक), प्रीतम यादव जिलाध्यक्ष यादव समाज, लाला राम, कार्तिक राम दीवान, मुकेश सिन्हा, पिताम्बर यादव, धनेश्वर दीवान, रेखराम यादव, सालिक राम यादव, पिलेश्वर, मोनू, पिंटू, विद्या , चंटू, पंचू, डाललू , गंगू, रमन, पूनारद, डॉक्टर ध्रुव, भनत राम यादव, मोहित, डुमेश्वर दीवान, पीलू दीवान, रोहित दीवान, रूपन ठाकुर, हेमप्रशाद यादव, गुलझारी, कांशीराम आदि गणमान्य जन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।