अतुल्य भारत चेतना
शिव शंकर जायसवाल
कटघोरा/कोरबा। महिला ग्राम विकास समिति द्वारा केपीएस प्रांगण में 08 मार्च 2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ साईं श्रेया एन के एच, अध्यक्षता मुक्ता जायसवाल अध्यक्ष – महिला ग्राम विकास समिति एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में राजेश्वरी यात्रा पार्षद वार्ड क्रमांक एक छी, सुनीता जायसवाल पार्षद वार्ड क्रमांक 10 पुरानी बस्ती, रुक्मणी यादव, जिला अध्यक्ष – यादव महिला समाज, निर्मला अग्रवाल – अध्यक्ष अखिल भारतीय मारवाड़ी समाज, कसक दूहलानी – सचिव सिंधी महिला विंग सभा, हेमलता सी दार गॉड समाज , देव कुमारी पटेल – पटेल महिला समाज, पूर्णिमा निषाद – केवट समाज प्रमुख की उपस्थिति रही ।

सभी मंचस्थ अतिथियो द्वारा ज्ञान की देवी मां सरस्वती पर पूजा अर्चना कर , छत्तीसगढ़ी गीत अरपा पैरी के साथ प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।
सभी अतिथियों को महिला ग्राम विकास समिति के सदस्यों पार्वती जायसवाल, सरिता जायसवाल, कविता यादव, प्रतिमा जायसवाल द्वारा टीका रोली लगाकर स्वागत किया गया।
मुख्य अतिथि डॉक्टर श्रेया ने कहा कि हर वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है। सामाजिक, राजनीतिएवं आर्थिक उपलब्धियां का परिणाम है, महिलाओं के योगदान को सम्मानित करती है। यह अधिकारों के प्रति जागरूक फैलाने का प्रमुख अवसर है। लड़कियों को शिक्षित होने से मायके ससुराल दोनों पक्ष शिक्षित हो जाते हैं .शिक्षा के अलावा सभी क्षेत्रों में महिलाओं का योगदान है। राजनीतिक सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक यूरोप में महिलाओं के अधिकारों को वंचित रखा गया। सामाजिक स्तर पर निम्न स्तर एवं नागरिक अधिकारों से वंचित रखा गया। हम भारत में पैदा होकर भाग्यशाली है, कोई भी क्षेत्र में अपना करियर एवं भागीदारी कर सकते है। महिलाओं को पुरुषों के बराबरी करने का अधिकार है और पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलने का स्वतंत्रता भी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती मुक्ता जायसवाल ने कहा कि महिलाओं का सभी क्षेत्रों में दबदबा कायम है। पृथ्वी से लेकर चंद्रमा तक अपने नाम रोशन कीये है। सभी क्षेत्र में नारी – सभी पर भारी। हमारे देश में नारी शक्ति भारी दिखाई देती है। शिक्षा क्षेत्र में सबसे पहले शिक्षा देने वाली महिला शक्ति नारी सावित्रीबाई फुले थी, उसे उस समय गोबर कीचड़ से मारते थे, स्कूल जाते समय तीन साड़ियां लेकर चलती थी। आते समय, जाते समय एवं स्कूल में पढ़ाते समय साड़ी पहनती थी। राजनीतिक क्षेत्र में भी अपना वर्चस्व/स्थान बना चुकी है, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के पद पर रह चुकी है। चंद्रयान पर जाने वाली पहली महिला कल्पना चावला थी। समाजसेवी में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त मदर टेरेसा गरीब जरूरत मंद लोगों को सेवा के नाम पर नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। अहिल्याबाई, कस्तूरबा गांधी, लक्ष्मीबाई, आनंदीबाई ईनके उदाहरण है। रुक्मणि यादव विशिष्ट अतिथि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार 1909 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में मनाया गया था। जो की लैंगिक समानता और महिला अधिकारों पर केंद्रित था महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता करना और उन्हें सम्मान देना है महिलाओं ने इतिहास में हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है। चाहे वह शिक्षा हो राजनीति हो या विज्ञान या खेल के मैदान पर या प्रशासनिक सेवा पर महिला शिक्षा व सशक्तिकरण एक दूसरे से गहरे से जुड़े हुए हैं क्योंकि शिक्षा ही वह साधन है जिसके माध्यम से सीमा महिलाएं अपने अधिकारों अवसरों और जिम्मेदारियां को समझ सकती है। शिक्षा के द्वारा ही महिलाओं को आत्मनिर्भर आत्म सम्मानित और सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकता है ।महिला शिक्षा व सशक्तिकरण की प्रक्रिया केवल महिलाओं के व्यक्तिगत विकास के लिए नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रगति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है एक शिक्षित महिला ही सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकती है।
श्रीमती राजेश्वरी जात्रा ने कहा कि सभी क्षेत्र में महिलाएं की भागीदारी है, महिलाओं का योगदान एवं सफलता का परिणाम है जो की 8 मार्च को पूरे विश्व में जाना जाता है। शिक्षा, राजनीति, विज्ञान,खेल मैदान, सभी क्षेत्रों में सफलता हासिल किए हैं।
कसक दूहलानी ने कहा कि दुनिया की पहचान है नारी, हर घर की जान है नारी, बेटी, बहन मां, पत्नी बनकर घर की शान है नारी। एक छोटी सी कविता सुनाकर पूरी बात कह दी। ऐसी होती है नारी। देव कुमारी पटेल ने कहा कि बहु बनकर सभी घरों में सुख-दुख, सभी का फर्ज निभाती है नारी, तभी तो रहती सभी पर भारी नारी। हेम लता सी दार मैडम ने कहा कि सबसे अधिक नारी शक्ति की बात होती है तो केवल 8 मार्च को होती है। नारी सशक्तिकरण क्या है ? सबको समझाना पड़ेगा जब तक नारी की दशा पूरी तरह सुधर नहीं जाती तब तक महिला अपने शक्ति का उपयोग नहीं कर पाएगी। जहां नारी की पूजा होती है वही देवता निवास करते हैं।
श्रीमती सुनीता जायसवाल पार्षद एवं पूर्णिमा निषाद ने भी अपना बात रखी। इसके बाद सभी मंचस्थ अतिथियों को महिला ग्राम विकास समिति द्वारा स्मृति चिन्ह एवं एक-एक गमछा पेन देकर सम्मानित किया गया। उसके बाद उपस्थित सभी महिलाओं को एक-एक गमछा, एक-एक पेन एस जे आर फाउंडेशन के सहयोग से देकर सम्मानित किया गया। स्कूल के सभी बच्चों को सिंधी महिला विंग कमेटी द्वारा पेंसिल, शीश, रबर दी गई। कार्यक्रम में पूर्व पार्षद ममता अग्रवाल, टीवी लता कश्यप, सुकृत महंत, आशा अग्रवाल, पार्वती जायसवाल, सरिता जायसवाल, रेखा बंसल, सुजाता अगरवाल, प्रतिभा जायसवाल, कविता यादव, कविता यादव, श्रीमती प्रभा कश्यप, अंजू कश्यप, नीतू, प्रतिमा जायसवाल, लीना जायसवाल, संतोषी मरावी, सुनीता वैष्णव, पूजा यादव, शोभा जयसवाल, रंजू लता डिक्सेना, अश्विनी वस्त्रकर के अलावा काफी संख्या में नारी शक्ति उपस्थित थी। कार्यक्रम का संचालन हेम लता सिदार मैडम एवं आभार व्यक्त मुक्ता जायसवाल – अध्यक्ष महिला ग्राम का समिति ने किया।