Nari Shakti: Antarrashtriya Mahila Diwas Ka Mahatva Aur Badalte Paridrishya : हर वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जो महिलाओं की उपलब्धियों, उनके अधिकारों और समाज में उनके योगदान को सम्मान देने का एक विशेष अवसर होता है। यह दिन सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि लैंगिक समानता और महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के संघर्ष की याद दिलाने का प्रतीक भी है।
महिला दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1909 में अमेरिका से हुई, जब न्यूयॉर्क में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया। 1910 में, क्लारा ज़ेटकिन नामक जर्मन समाजवादी ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का सुझाव दिया। 1977 में, संयुक्त राष्ट्र ने इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी और तब से यह विश्वभर में महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है।
महिला सशक्तिकरण: समय की मांग
महिलाएं समाज की रीढ़ हैं, लेकिन उन्हें सदियों से विभिन्न सामाजिक बंधनों में जकड़ा गया। हालांकि, समय के साथ महिलाओं ने अपनी स्थिति मजबूत की है और हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।
1. शिक्षा और ज्ञान की शक्ति
शिक्षा महिलाओं के सशक्तिकरण का सबसे बड़ा माध्यम है। आज महिलाएं डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, शिक्षक, और नेता बन रही हैं। भारत में, साक्षरता दर में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता है।
2. आर्थिक स्वतंत्रता और उद्यमिता
महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है। पहले के समय में महिलाओं को घरेलू कार्यों तक सीमित रखा जाता था, लेकिन आज वे सफल उद्यमी, सीईओ, बैंक अधिकारी और बिजनेस लीडर बन रही हैं। महिला स्टार्टअप्स की संख्या में वृद्धि हो रही है और सरकार भी उन्हें सहयोग कर रही है।
3. राजनीति में भागीदारी
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से समाज की दिशा बदल रही है। इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, सुषमा स्वराज, और निर्मला सीतारमण जैसी महिलाएं राजनीति में अपनी छाप छोड़ चुकी हैं। सरकार द्वारा महिलाओं को पंचायती राज और अन्य राजनीतिक क्षेत्रों में 33% आरक्षण देने की पहल की गई है।
4. विज्ञान और तकनीक में योगदान
इसरो (ISRO) की वैज्ञानिक रितु करिधल और मंगलेयान मिशन की महिला वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी किसी से कम नहीं हैं। लड़कियों को विज्ञान और गणित के प्रति प्रेरित करने के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
महिलाओं के सामने चुनौतियां
हालांकि महिलाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- लैंगिक भेदभाव: वेतन असमानता और कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव अभी भी एक गंभीर समस्या है।
- हिंसा और उत्पीड़न: घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर शोषण और समाज में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति सुधारने की आवश्यकता है।
- मानसिकता में बदलाव की जरूरत: महिलाओं को समान अवसर देने के लिए समाज की मानसिकता में बदलाव जरूरी है।

महिला दिवस का महत्व और इसकी थीम
हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। 2024 की थीम “Inspire Inclusion” है, जिसका उद्देश्य समाज में महिलाओं की समावेशिता को बढ़ावा देना है। यह थीम इस बात पर जोर देती है कि महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करना और समान अवसर देना आवश्यक है।
कैसे मना सकते हैं महिला दिवस?
- महिलाओं को सम्मान दें: घर, स्कूल, ऑफिस और समाज में महिलाओं के योगदान को सराहें।
- सशक्तिकरण कार्यक्रमों में भाग लें: महिलाओं के हक और सशक्तिकरण के लिए होने वाले कार्यक्रमों में भाग लें।
- महिला उद्यमियों को सहयोग करें: महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे स्टार्टअप्स और व्यवसायों को बढ़ावा दें।
- सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं: महिला सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों को सोशल मीडिया पर साझा करें और सकारात्मक बदलाव की पहल करें।
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की लड़ाई को निरंतर आगे बढ़ाने का संकल्प है। समाज को यह समझना होगा कि महिलाओं को समान अवसर देना केवल उनका अधिकार ही नहीं, बल्कि समाज की उन्नति के लिए भी आवश्यक है। जब महिलाएं सशक्त होंगी, तभी देश और दुनिया तरक्की की नई ऊंचाइयों को छू सकेगी।
इस महिला दिवस पर, हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम लैंगिक समानता को बढ़ावा देंगे और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। “नारी शक्ति, समाज की शक्ति” – इस मंत्र को अपनाकर हम एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।