Bharat Ka Antariksh Budget 10 Saalon Mein Teenguna Hua: Ek Nai Antariksh Kranti Ki Shuruaat भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार, पिछले एक दशक में देश के अंतरिक्ष बजट में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2013-14 में भारत का अंतरिक्ष बजट ₹5,615 करोड़ था, जो अब 2025-26 में बढ़कर ₹13,416 करोड़ हो गया है। यह बढ़ता हुआ बजट भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है और वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में देश की बढ़ती भूमिका को मजबूत करता है।
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भारत के अंतरिक्ष बजट में वृद्धि: एक संक्षिप्त अवलोकन
भारत का अंतरिक्ष बजट लगातार बढ़ रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता दे रही है। यह वृद्धि केवल संख्यात्मक नहीं है, बल्कि यह देश की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का भी प्रतीक है। पिछले कुछ वर्षों में इसरो (ISRO) ने कई महत्वाकांक्षी मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिसमें चंद्रयान-3, आदित्य L1, गगनयान और अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।
अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश क्यों बढ़ा?
- वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका:
- भारत ने अब तक 433 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है, जिसमें से 396 उपग्रह 2014 के बाद लॉन्च किए गए हैं।
- इन प्रक्षेपणों से भारत को $192 मिलियन और 272 मिलियन यूरो का राजस्व प्राप्त हुआ है।
- कई देशों और निजी कंपनियों ने भारतीय रॉकेटों और उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं में रुचि दिखाई है।
- स्टार्टअप्स और निजी क्षेत्र का बढ़ता योगदान:
- भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप्स की संख्या पिछले कुछ वर्षों में एक से बढ़कर 300 से अधिक हो गई है।
- सरकार द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने से नवाचार को बल मिला है।
- इन स्टार्टअप्स के माध्यम से छोटे और किफायती उपग्रह विकसित किए जा रहे हैं, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
- रक्षा और सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष तकनीक का महत्व:
- अंतरिक्ष तकनीक राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
- सीमा निगरानी और जासूसी उपग्रहों की मदद से भारत की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि हुई है।
- भू-राजनीतिक खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए उपग्रहों का उपयोग किया जा रहा है।
- कृषि और आपदा प्रबंधन में योगदान:
- कृषि क्षेत्र में उपग्रह आधारित डेटा का उपयोग निर्णय लेने, फसल स्वास्थ्य विश्लेषण, और जल संसाधन प्रबंधन में किया जा रहा है।
- आपदा प्रबंधन के लिए उपग्रहों का उपयोग बाढ़, चक्रवात और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए किया जाता है।
- जलवायु परिवर्तन की निगरानी और मौसम पूर्वानुमान में भी इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है।
- शासन और प्रशासन में अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग:
- अंतरिक्ष तकनीक ने शासन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने में मदद की है।
- भू-सर्वेक्षण और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लिए उपग्रह इमेजरी का उपयोग किया जा रहा है।
- डिजिटल इंडिया अभियान को सफल बनाने में उपग्रह संचार का बड़ा योगदान है।
चंद्रयान-3 और भारत की बढ़ती महत्वाकांक्षाएं
भारत ने हाल ही में चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिससे देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला राष्ट्र बन गया। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ते आत्मविश्वास को दर्शाता है।
इसके अलावा, आदित्य L1 मिशन सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा गया है, और गगनयान मिशन के तहत पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे।
अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षेत्रीय नेतृत्व की स्थिति
भारत के पड़ोसी देश भी अब भारतीय उपग्रह प्रणालियों पर निर्भर हो रहे हैं।
- SAARC उपग्रह: दक्षिण एशियाई देशों को संचार और मौसम संबंधी डेटा प्रदान करता है।
- नेविगेशन प्रणाली: भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को विकसित किया गया है, जो अमेरिका के GPS का एक स्वदेशी विकल्प है।

भविष्य की योजनाएं और चुनौतियां
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के सामने कई अवसर और चुनौतियां हैं:
- मंगल और शुक्र मिशन: इसरो मंगल ग्रह के लिए दूसरे मिशन (मंगलयान-2) और शुक्र ग्रह (शुक्रयान-1) के लिए भी योजना बना रहा है।
- निजी कंपनियों के साथ साझेदारी: स्पेसX और ब्लू ओरिजिन जैसी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को अधिक नवाचार और निजी क्षेत्र की भागीदारी की आवश्यकता होगी।
- आर्थिक संसाधन: अधिक उन्नत तकनीकों को विकसित करने के लिए बड़े बजट और निवेश की आवश्यकता होगी।
निष्कर्ष
भारत के अंतरिक्ष बजट में हुई लगभग तीन गुना वृद्धि केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का भी प्रतीक है। इसरो और अन्य भारतीय अंतरिक्ष संस्थानों की उपलब्धियां न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास में योगदान दे रही हैं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी सीधे प्रभावित कर रही हैं।
भविष्य में, भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ती उपस्थिति वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगी। अंतरिक्ष विज्ञान में हो रहे इन महत्वपूर्ण नवाचारों से भारत का सपना ‘विश्वगुरु’ बनने की ओर एक और कदम आगे बढ़ रहा है।