अतुल्य भारत चेतना
रईस
बहराइच। विकास खंड मिहींपुरवा अंतर्गत चितलहवा गाँव जो तीन तरफ से जंगल से घिरा है। गाँव जाने के लिए ना बढ़िया रास्ते न हीं शिक्षा की कोई व्यवस्था, इसी गाँव में समीर खान पुत्र नफीस खान उम्र 14 वर्ष ,शिक्षा और खेल के प्रति लगन रखने वाले होनहार की उत्सुकता देखकर पिता ने अपने लाल को पढ़ने के लिए अलीगढ़ भेज दिया कि हमारा बेटा वहाँ पढेगा और खेल प्रतियोगिताओ में भी भाग लेता रहेगा। आखिरकार बच्चे की मेहनत ने रंग दिखाए भारतीय खेल संघ के द्वारा दौड़ के लिए ऑनलाइन आवेदन माँगे गए बच्चे ने तुरंत ऑनलाइन फॉर्म डाला, भाग्य ने साथ दिया समीर का सिलेक्शन दौड़ के लिए हो गया समीर अलीगढ़ से मथुरा दौड़ में किस्मत आजमाने के लिए पहुँचा 100 मीटर की दौड़ मात्र 12 सेकंड में पूरी करने के बाद सिल्वर मेडल का हकदार बना इसीलिए तो कहते हैं कि जंगल की बॉडी में और गाँव की बॉडी में बड़ा फर्क है सोना तपने के बाद ही कुंदन बनता है। यह उन लोगों के लिए सीख है जो कहते हैं, कि हम कामयाब तो हो जाते लेकिन संसाधन नहीं थे किशोर बना ऐसे लोगों के लिये मिसाल।