अतुल्य भारत चेतना
संवाददाता
सुल्तानपुर। श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर श्री धाम अयोध्या से पधारे आचार्य बसंत शुक्ला जी महराज ने सुदामा चरित्र परीक्षित मोक्ष की कथा बहुत ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया। सुदामा के बारे में बताया कि कृष्ण सुदामा की मित्रता का गुणगान पूरी दुनिया करती है। सुदामा इतने गरीब थे कि अपने परिवार को भरपेट भोजन भी नहीं करा पाते थे। पत्नी के बार-बार कहने के बावजूद वह श्री कृष्ण के पास सहायता मांगने के लिए तैयार नहीं होते थे। सुदामा चरित्र से हमको यह सीख मिलती है कि कठिनाइयाँ में हमें किस तरह से संघर्ष करना चाहिए और धैर्य बनाए रखना चाहिए। बुरे दिन से परेशान होकर भी सुदामा श्री कृष्ण के पास मदद मांगने के लिए तैयार नहीं हुए।


कृष्ण और सुदामा का प्रेम यानी सच्ची मित्रता यही थी कि उन्होंने सुदामा को अपने से भी ज्यादा धनवान बना दिया था। दोस्ती के इसी नेक इरादे को लोग उनकी मित्रता की मिसाल देते हैं। जीवन में आई विपत्तियों का सामना करने की शिक्षा हमें सुदामा से ही मिलती है भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष, भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया। मनीराम राम तिवारी के आवास पर आयोजित कार्यक्रम में भाजपा नेता राम महेश, संदीप तिवारी, अम्बरीष, अवनीश सहित समस्त ग्रामवाशी उपस्थित रहे।