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परासिया के अलकेश जैन का नंगे पैर श्री महावीर जी पदयात्रा का शुभारंभ

By News Desk Nov 15, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
अखिल सूर्यवंशी

परासिया। धर्म और आस्था के प्रतीक अलकेश जैन ने आज परासिया से राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री महावीरजी तक की नंगे पैर पदयात्रा का शुभारंभ किया। इस 40 दिन की यात्रा के दौरान वे पिपरिया, बरेली, भोपाल, चांदखेड़ी और कोटा होते हुए श्री महावीरजी पहुंचेंगे। यह यात्रा 20 दिसंबर तक पूर्ण होने की संभावना है।अलकेश जैन ने श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, खिरसाडोह में दर्शन कर इस यात्रा की शुरुआत की। यात्रा के शुभारंभ पर परासिया, चांदामेटा, जामई, न्यूटन सहित कई स्थानों के जैन व अन्य धर्मावलंबियों ने मिलकर उन्हें शुभकामनाएं दीं और जगह-जगह पर उनका भव्य स्वागत किया।

यात्रा में श्रद्धा और आस्था का अनुपम संगम

अलकेश जैन के जीवन में आस्था का विशेष स्थान है, और उनका जीवन समाज सेवा व धर्म के प्रति निष्ठा से भरा है। जैन समाज के विभिन्न संगठनों से जुड़े हुए श्री जैन हमेशा सामाजिक व धार्मिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। उनका मानना है कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य आस्था और सेवा का संदेश देना है। इस मौके पर विशेष रूप से लायंस आई हॉस्पिटल और सर्वोत्तम बुक स्टोर्स के सामने, चंदू प्रजापति और हरीश पटेल समेत जैन समाज के अन्य सदस्यों ने उनका स्वागत किया। समाज के सम्मान समारोह में मंच संचालन अभिषेक जैन मोनू द्वारा किया गया। इस सम्मान समारोह में कई प्रमुख व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की, जिनमें भरत जैन, विनोद मालवीय, पिंकेश पटोरिया, प्रदीप सोनी, डॉ. राजेंद्र सोनी, दिनेश जैन, राकेश जैन (जामई), प्रकाश सोनी, उदय गौतम, रेणु जैन शामिल रहे। सभी ने अपने अपने शब्दों में इस यात्रा के महत्व को साझा किया और श्रद्धालुओं को प्रेरित किया। इस अवसर पर अलकेश जैन के परिवार को भी सम्मानित किया गया, जिनका इस यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

श्री महावीरजी प्रतिमा की पावन कहानी

इस यात्रा का गंतव्य, श्री महावीरजी, एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है, जो अपनी चमत्कारिक कहानी के लिए विख्यात है। ऐसा माना जाता है कि एक टीले पर अचानक गाय का दूध स्वतः ही झरने लगा, और जब वहां खुदाई की गई, तब भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा प्रकट हुई। इस दिव्य प्रतिमा के प्रति लोगों में गहरी आस्था है, और प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। श्री अलकेश जैन की यह पदयात्रा उसी आस्था की एक सजीव मिसाल है, जो सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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