
अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी
मुजफ्फर नगर। हिंदी, उर्दू साहित्य को समर्पित संस्था
समर्पण की एक रचनात्मक काव्य गोष्ठी का आयोजन शाकुंतलम कालोनी में हुआ, अध्यक्षता गीतकार ईश्वर दयाल गुप्ता व संचालन डॉ आस मोहम्मद अमीन ने किया, मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार कवि योगेंद्र सोम ने गोष्ठी को गरिमा प्रदान की, संयोजिका सुनीता मलिक सोलंकी मीना ने कवियों और शायरों का सम्मान के साथ स्वागत किया, आमंत्रित रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया, वरिष्ठ शायर अब्दुल हक़ सहर ने कहा,
हर शख़्स को यह डर है कहीं चोट ना खा ले,
गिरती हुई दीवार को फिर कोन संभाले। योगेंद्र सोम ने कहा،
प्रेम बंधन नहीं जो लगाना पड़े, प्रेम कंगन नहीं जो पहनाना पड़े, है मन के धागों से लिपटी हुई भावना ये ज़रूरी नहीं कि बताना पड़े। मीरा भटनागर ने मोहब्बत और नफ़रत का अंतर बताया,
एक रोज़ नफ़रत और मोहब्बत में बहस छिड़ गई
नफ़रत तैश में आई मोहब्बत से भिड़ गई,
नफ़रत बोली मैं जलाती हूं मोहब्बत बोली मैं मरहम लगातु हूं,
संतोष कुमार फ़लक ने कहा, कई बार में हारा हूं अपनों से इस लिए,हर लड़ाई लड़के जीती नहीं जाती, उपाध्यक्ष सलामत राही ने पैग़ाम दिया,
नफ़रत को ख़त्म कीजिए उल्फ़त बढ़ाइए,
ग़म के अंधेरे सब के दिलों से मिटाईए,
वरिष्ठ कवयित्री सुशीला शर्मा ने बेटियों की क़द्र बताई,
जग का हैंआधार बेटियां इनसे सारे बंधन हैं,
इन्हें पांव की धूल न समझो ये माथे का चंदन हैं,
सुनीता सोलंकी की गज़ल का एक शे’र –
“जख्म गहरा हो रहा है इन दिनों
दर्द भी बढ़ सा चला है इन दिनों।।”
डॉ आस मोहम्मद अमीन ने कहा,
मुद्दतों से जब उससे मेरी आशनाई है,
ज़हन से उतर जाना भी तो बेवफ़ाई है,
विजया गुप्ता ने अपने बड़ों को याद किया,
कुछ दिनों को पितृ हमारे घर आए हैं,
भूल न पाए कमी याद बहुत आए हैं,
मुस्तफा कमाल बोले,
अपनी दुनिया बसा के देखूं गा,
तुझको अपना बनाके देखूं गा।




हास्य व्यंग के कवि राम कुमार रागी ने देश प्रेम की बात कही,
वतन की आन दिल में है,वतन की शान दिल में है,वतन पे जां लुटाने का मेरे अरमान दिल में है,
योगेश सक्सेना ने अपने होसले के बात कही,
बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नहीं पाया,
हवाओं के इशिरों पर मगर मैं बह नहीं पाया,
बहतरीन साहित्य कार विपुल शर्मा
रज़ा शाह पूरी , ब्रजेश गर्ग,
शशि सकसेना की रचनाओं ने वाह वाही लूटी,
अध्यक्षता कर रहे गीतकार ईश्वर दयाल गुप्ता ने फरमाया,
एक धरती ,एक आसमान एक हिंदुस्तान है,
एक देश,हो एक चुनाव,एक यह पहचान है,
अंत में समर्पण संस्था कार्य कारणी के पदाधिकारियों की घोषणा की गई,
संरक्षक- योगेंद्र सोम, अब्दुल हक़ सहर, विजया गुप्ता,
अध्यक्ष- गीतकार ईश्वर दयाल गुप्ता
उपाध्यक्ष- हाजी सलामत राही
सचिव- सुनीता मलिक सोलंकी मीना,
सह सचिव-योगेश सक्सेना,
कोषाध्यक्ष-राम कुमार रागी,
सदस्य-मीरा भटनागर,
सुशीला शर्मा
आस मोहम्मद अमीन