अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। संस्कार भारती रतनपुर द्वारा हिंदी दिवस पर महामाया गार्डन में आंचलिक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें अंचल के कवियों ने एक से बढ़कर एक कविताओं से श्रोताओं को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राजेंद्र कुमार वर्मा ने किया। कवि गोष्ठी का आगाज क्षेत्र के परिचित साहित्यकार रामेश्वर शांडिल्य की कविता से हुआ। उन्होंने हिंदी की महत्ता पर कविता प्रस्तुत की, संस्कृति की बेटी हिंदी है, भारत माता की भाल बिंदी है। जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

वरिष्ठ गजल कार बृजेश श्रीवास्तव ने हिंदी ग़ज़ल प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी- भारत का अभिमान है हिंदी, हम सब की पहचान है हिंदी। सास बनी बैठी अंग्रेजी, बहू सरिखी परेशान है हिंदी। इसके बाद वरिष्ठ कवि जनक राम साहू ने हिंदी की दुर्दशा पर कविता सुनाई। अगले क्रम में कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ.राजेंद्र कुमार वर्मा के गीत ने समां बांधा, कोई माने ना माने सच है मगर, हिंदी सदियों से प्रतिघात सहती रही। कार्यक्रम का संचालन कर रहे संस्कार भारती के सह कोष प्रभारी वरिष्ठ कवि दिनेश पांडेय ने हिंदी दिवस पर सम सामयिक रचना सुनाकर महफिल को सजाया भाषा रूपी सुमनों की माला में, हिंदी को एक धागा बनाएं। हिंदी को दिलों में बसाएँ। राष्ट्रपति पुरस्कृत वरिष्ठ कवि काशीराम साहू ने अपनी हिंदी ग़ज़ल से श्रोताओं को रस विभोर किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक दिनेश पांडेय एवं आभार प्रदर्शन ब्रजेश श्रीवास्तव ने किया।