पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए मोगा में चॉकलेट के गणेश जी बना कर घर में किया स्थापित
श्री गणेश प्रतिमा शुद्ध रूप से चॉकलेट से बनी है और पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाती है: शैफाली अग्रवाल
अतुल्य भारत चेतना
कुलभूषण गोयल
मोगा। गणेश महोत्सव के चलते आज कल मोगा शहर के तकरीबन सभी मंदिरों के अलावा घर-घर में गणेश जी की स्थापना की गई है। तकरीबन हर घर में विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा-अर्चना की जा रही है। हिंदू धर्म शास्त्रों में गणेश जी की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी से शुरू हुए गणेश महोत्सव के अवसर पर लोग अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं। लेकिन समय के साथ, गणेश जी की मूर्तियों को आकर्षक बनाने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस (पी ओ पी) और केमिकल रंगों का उपयोग किया जाने लगा है, जो पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहा है। विसर्जन के बाद ये मूर्तियां जल स्रोतों को प्रदूषित करती हैं और उनमें मौजूद जीव-जंतुओं के लिए खतरनाक होती हैं
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए मोगा के समाजसेवी सुरिंदर अग्रवाल की धर्मपत्नी नीरू अग्रवाल तथा बहू शैफाली अग्रवाल ने 3 साल पहले एक विशेष पहल शुरू की। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए चॉकलेट के गणेश जी बना कर घर में स्थापित किए। शैफाली अग्रवाल ने बताया कि ये गणेश प्रतिमा शुद्ध रूप से चॉकलेट से बनी है और पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाती है। परंपरागत रूप से जो गणेश प्रतिमाएं बनाई जाती हैं वे प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी होती हैं और जब इनको पानी में विसर्जित किया जाता है तो उनसे हानिकारक रसायन निकलकर पानी को प्रदूषित करता है। वहीं, चॉकलेट से बनी गणेश प्रतिमा पूरी तरह से ईको-फ्रैंडली है और पर्यावरण संरक्षण में मदद करती है। इस प्रतिमा का पानी में विसर्जन परंपरागत तरीके से किया जा सकता है। वहीं वैकल्पिक रूप से, इसका विसर्जन दूध में भी किया जा सकता है। दूध में इस प्रतिमा का विसर्जन होने से थोड़ी देर में यह चॉकलेट की मूर्ति पिघलकर चॉकलेट मिल्क बन जाती है। इस चॉकलेट मिल्क को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा। शेफाली अग्रवाल तथा नीरू अग्रवाल ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यावरण की भी सुरक्षा सुनिश्चित हो। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा तैयार की गई चाकलेट की यह गणेश प्रतिमा करीब 14 इंच ऊंची और 8 इंच मोटी है, जिसका वजन करीब 10 किलोग्राम है। इस प्रतिमा का 31किलो दूध में विसर्जन किया जाएगा।