खाद्य विभाग की टीम ने साधी चुप्पी
अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी
कैराना/शामली। अगर आप मिठाई खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए यह स्वाद आपकी सेहत बिगाड़ रहा है। जिलेभर में कई स्थानों पर घरों व फैक्ट्रियों में मिलावटी खोया व पनीर तैयार किया जा है, जिसे जनपद के साथ- साथ अन्य राज्यों तक सप्लाई किया जा रहा है। या तो खाद्य विभाग का खुफिया तंत्र शून्य है। या फिर मिलीभगत के चलते इस अवैध कारोबार को बढ़ावा दिया जा रहा है।

जनपद शामली में पनीर और मिलावटी खोया की कई घरों व फैक्ट्रियों में भट्टियां धधक रही हैं, जहां खतरनाक केमिकल के माध्यम से बड़ी संख्या में पनीर व खोया के नाम पर सफेद ज़हर तैयार किया जा रहा है। ऑर्डर मिलने के बाद बड़े स्तर पर मिलावटी ज़हर तैयार करके अन्य जनपदों व राज्यों तक सप्लाई किया जा रहा है। इतने बड़े पैमाने पर चल रहे इस अवैध धंधे के बारे में खाद्य विभाग तक इसकी जानकारी नहीँ है। यह बात हलक से नीचे नहीँ उतरती, क्योंकि बिना विभागीय संरक्षण के मिलावटखोरी का धंधा फल फूलना आसान काम नहीँ है। खाद्य विभाग का मुखबिर तंत्र मानो पूरी तरह से ध्वस्त है, बल्कि शून्य पर चला गया है। आखिर कारण क्या है,जो मिलावटखोरों के आगे मुखबिर तंत्र भी घुटने टेकने को मजबूर है। या फिर मुखबिर तंत्र पर रूपया तंत्र हावी हो चुका है। इतने बड़े स्तर पर मिलावटखोरी का धंधा संचालित होना खाद्य विभाग कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
क्या मिलावटी खोया पनीर की सप्लाई रोकने के लिए खाद्य औषधि प्रशासन के पास कोई निगरानी तंत्र नहीं है।जनपद शामली से मिलावटी मावा व पनीर दूसरे जिलों और राज्य में भेजा जा रहा है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई करती है सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जाते हैं, उनकी रिपोर्ट ही जांच करके नहीं पहुंचती है। रिपोर्ट में भी विभाग मिलीभगत कर जाता है। मिलावटी मावा और पनीर से मिठाइयां बनाकर बड़े स्तर पर बाजारों में खपाई जा रही है।जहाँ प्रतिबंधित रंग लगाकर अलग- अलग प्रकार का मिष्ठान तैयार करके आम लोगों को आकर्षित किया जा रहा है। अपने स्वाद की खातिर आम आदमी मिष्ठान खरीदकर अपने परिवार में मीठा ज़हर बांट रहा है।खाद्य विभाग की टीम का दूर-दूर तक अता पता नहीँ है।मिलावटी माल खपाने व छिपाने के लिए कस्बा कैराना पहले स्थान पर है।
ऑर्डर पर तैयार हो जाता है माल
कस्बे में बड़े पैमाने पर मिलावटखोरी का धंधा संचालित किया जा रहा है।ऑर्डर मिलते ही उसी प्रकार का माल तैयार कर दिया जाता है। यहां भी कई तरह की मिलावट होती है और सबके रेट भी अलग – अलग निर्धारित होते हैं। जैसा पैसा वैसा ही माल मिल जाता है। सूत्र बताते हैं कि मिलावटी खोया पनीर तैयार करने वालों को ज़रा भी खौफ़ नही है।प्रत्येक माह एक निर्धारित रकम संवंधित विभाग को भेंट कर दी जाती है।
बड़ी मछलियों पर नहीं होती कार्रवाई
जनपद शामली में मिलावटी मावे का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। कई स्थानों पर बकायदा फैक्ट्री लगाकर तैयार हो रहा है। लेकिन इन बड़े खिलाडिय़ों पर खाद्य औषधि विभाग कार्रवाई करने से कतराता है। कभी कभार विभाग हरकत में आता है तो मिष्ठान की दुकानों पर छापेमारी की जाती है, बाकायदा जनता को गुमराह करने के लिए वहां से सैंपल लिए जाते हैं, जिसकी कार्रवाई बाद में भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़कर दम तोड़ देती है।