अतुल्य भारत चेतना
सत्यम जायसवाल
कटघोरा। बीझरा गांव के कर्तिक राम प्रजापति पिछले 45 वर्षों से मिट्टी के बैल बनाने और बेचने के काम में लगे हुए हैं। पहले वे बिना रंग के साधारण मिट्टी के बैल बनाते थे, लेकिन समय के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी मांग बदलती गई। अब उन्होंने रंगीन और आकर्षक मिट्टी के बैल बनाना शुरू कर दिया है, जो लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हो रहे हैं।
कर्तिक राम प्रजापति बताते हैं कि एक मिट्टी का बैल बनाने में उन्हें लगभग 2 घंटे का समय लगता है। इसके बाद, बैल को पूरी तरह सूखने में एक हफ्ते का समय लगता है। सूखने के बाद ही वह बैल पर रंग लगा पाते हैं, जिससे बैल और भी आकर्षक दिखने लगते हैं।
पहले वे अपने मिट्टी के बैलों की बिक्री अपने घर से ही किया करते थे। लेकिन अब, बदलते समय और बढ़ती मांग को देखते हुए, उन्होंने कटघोरा में भी अपने बैलों को बेचने का निर्णय लिया है। पिछले तीन दिनों से वे कटघोरा के बाजार में अपने मिट्टी के बैल बेच रहे हैं, जहां लोगों का अच्छा खासा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
कर्तिक राम प्रजापति का कहना है कि उन्हें अपने इस काम पर गर्व है और वे इसे पूरी लगन और मेहनत से करते हैं। कटघोरा के लोगों के बीच उनके बैल काफी पसंद किए जा रहे हैं और उनकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है।