

अतुल्य भारत चेतना
लतेश गौतम
बालाघाट। सरदार पटेल विश्वविद्यालय बालाघाट मध्यप्रदेश ने कार्यालय आयुक्त उच्च शिक्षा, मध्यप्रदेश सतपुड़ा भवन, भोपाल निर्देशानुसार, दिनाॅक 27/06/2024 को विषय भूगोल,जल संचयन एवं नदियों का मिलानद्ध में कार्यशाला राष्ट्रीय संगोष्ठी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विधि पूर्वक उद्घाटन सरस्वती वंदना, दीप प्रजवलन एवं स्वागत गीत कें माध्यम से किया गया। अतिथि केन्द्रीय अध्ययन मंडल की चेयरपरसन ड़ाॅ. श्रीमति कुसुम माथुर, आचार्य एवं विभागाध्यक्ष सरोजनी नायडू गर्वन्मेंट पी.जी. काॅलेज भोपाल, विषिष्ट अतिथि कुलाधिपति इंजी. दिवाकर सिंह, उप-कुलाधिपति श्री वीरेश्वर सिंह, कुलगुरू ड़ाॅ. विप्लब पाॅल, कुलसचिव ड़ाॅ सुश्री स्वाती जयसवाल द्वारा माता सरस्वती, लौह पुरूष भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल एवं बाबासाहेब भीम राव अम्बेडकर के चित्रों पर माल्यार्पण करके कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया कार्यक्रम के महत्ता को समझाते हुये विश्वविद्यालय की कुलसचिव ड़ाॅ स्वाती जयसवाल ने अपने संबोधन में भारतीय ज्ञान परम्परा में विद्यमान ज्ञान के अथाह सागर के महत्वपूर्ण पहलुयों को समझाते हुये उपस्थित शौर्धाथियों, छात्र छात्राओं संकाय सदस्यों, विषेषज्ञों कों आने वाले समय में पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने आवश्यकताओं पर बल दिया कार्यक्रमानुसार पहले दिन ड़ाॅं. रानु राहगंडाले सहायक प्राध्यापक भूगोल पी.एम. एक्सीलेंस पी.जी. काॅलेज बालाघाट विषय के विशेषज्ञ के तौर पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। सुश्री राहगंडाले ने वाॅटर रिसोर्स कंजर्ववेशन पर अपना व्याख्यान देते हुये जल संरक्षण के महत्व को प्राचीन भारत के संदर्भ में जोड़ते हुये विस्तार से पी.पी.टी. प्रजेंटेषन के माध्यम से प्रकाष डाला विश्वविद्यालय के कुलगुरू ड़ाॅ. विप्लब पाॅल ने अपने सम्बोधन में वेदों और उपनिषदों का उल्लेख करते हुये भारतीय ज्ञान परम्परा में बहुआयामी उपलब्धियों का विस्तार से वर्णन करते हुये उपस्थित प्रतिभागियों का ज्ञान वर्धन किया तथा स्नातक एवं परास्नातक में पाठ्यक्रम स्तर पर इसकें समायोजन का सुझाव दिया अपराहन के कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग सेे सुरेश पटले ने अपने संबोधन में जल संचयन, प्राचीन परम्पराओं एवं वर्तमान में आवश्यकताओं पर अपना व्याख्यान देते हुये विस्तार से प्रकाष डाला। उपस्थित सहभागियों ने उपस्थित विषेषज्ञों से ओपन सेषन में अपनें विचार साझा किये तथा शंकाओं का समाधान किया। कार्यक्रम के दूसरे दिन ड़ाॅं. सुन्दर बिसेन सहायक प्राध्यापक, भूगोल पी.जी. काॅलेज लामटा, बालाघाट ने विषय के विषेषज्ञ के तौर पर अपनी व्याख्यान प्रस्तुत किया। ड़ाॅं. सुन्दर बिसेन ने वाॅटर रिसोर्स कंजर्ववेशन पर अपना व्याख्यान देते हुये जल संरक्षण के महत्व को प्राचीन भारत के संदर्भ में जोड़ते हुये विस्तार से पी.पी.टी. प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रकाश डाला। श्री बिसेन ने पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने से होने वाले ज्ञान वर्धन एवं आने वाली पीढी को पुरानी परम्पराओं से अवगत कराने की आवष्यताओं पर बल दिया। कार्यशाला संगोष्ठी के समापन संबोधन में विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति इंजीनियर दिवाकर सिंह जी ने भारतीय ज्ञान परम्परा के विषय में प्रकाष डालते हुये वैदों, उपनिषदों एवं ऋषि मुनियों द्वारा अपनाने जाने वाली परम्पराओं जिसमें जल संचयन, जल के महत्व के साथ-साथ पुरानी सभ्यताओं प्रयोग किये जाने वाले प्रवधानों का विस्तार से उल्लेख किया। माननीय कुलाधिपति जी ने शासन की मंषा को अपने संबोधन में सम्मिलित करते हुये पाठ्यक्रम तैयार करने हेतु विभिन्न समितियों को सुझाव के साथ-साथ दिषा निर्देष प्रदान कियें।इस कार्यषाला संगोष्ठी के लिये केन्द्रीय अध्ययन मंडल की चेयरपरसन ड़ाॅ. श्रीमति कुसुम माथुर, आचार्य एवं विभागाध्यक्ष सरोजनी नायडू गर्वन्मेंट पी.जी. काॅलेज भोपाल ने अपने संबोधन में स्नातक एवं परास्नातक स्तर पर भारतीय ज्ञान परम्परा के विभिन्न आयामो पर विस्तार से प्रकाश डाला। ड़ाॅं कुसुम माथुर ने अपने संबोधन में मध्य प्रदेष शासन उच्च षिक्षा विभाग द्वारा जारी किये गयें दिषा निर्देषों एवं मंतव्य के संबधं में उपस्थित प्रतिभागीयों को विस्तार से अवगत कराया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के प्रभारी निदेषक कला एवं सामाजिक विज्ञान विभाग ड़ाॅं. जे.पी. यादव, डीन रिसर्च त्रयंबक हिवारकर, डाॅ. बेलामारी जोषफ, अशोक बिसेन, जे.के. हरिनखेडे, सुरेश पटले, डाॅ. निशा शुक्ला, नैनी परमार, वर्णिता श्रीवास्तव, भारती हरिनखेडे एवं शैक्षणिक/असैक्षणिक कर्मचारी व विद्यार्थि उपस्थिति रहे।