



अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद रजक
छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में नए शैक्षणिक सत्र 2024-25 की शुरूआत के साथ शाला में बच्चो की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु बाल कैबिनेट एवं इको क्लब के गठन किया गया साथ ही बच्चो को शपथ भी दिलाया गया । इसी कड़ी में बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक के कन्या सीपत संकुल के अंतर्गत आने वाला शास. पूर्व माध्यमिक शाला झलमला में संयुक्त रूप से बच्चों का तिलक लगाकर उनके जिम्मेदारियों के लिए शुभकामनाएं दी गयी। यहां आयोजित कार्यक्रम में शाला प्रबंधन समिति की अध्यक्ष श्रीमती रंजीता साहू जी ने शामिल होकर नवनियुक्त बाल कैबिनेट के बच्चों का उत्साहवर्धन किया तथा उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की । साथ ही मुख्यअतिथि के रूप में प्राथमिक शाला कौवाताल के प्रधान पाठक सह कन्या सीपत के ऊर्जावान शैक्षिक समन्वयक श्री प्रमोद कुमार पांडेय जी ने बाल कैबिनेट के महत्व को बतलाया तथा बच्चो को अपना आशीर्वाद देकर उत्साहवर्द्धन किया, एवं बच्चो को देश का भविष्य बताते हुए शिक्षा, शिक्षक, और छात्रों का समाज मे महत्व और उनकी नितांत आवश्यकता को विस्तार से वर्णन करते हुए प्रत्येक बच्चो के भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु शासन के इन योजनाओं को सराहा ।।
लंबे अंतराल के बाद जब नन्हें-मुन्हे बालक-बालिका स्कूल में बाल कैबिनेट के दायित्व का निर्वहन करते है तो उनके भविष्य का पथ तय होता है तथा उनके चेहरे पर खुशी भी नजर आती है। उक्त कार्यक्रम में बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों ने भी भाग लिया , कल्याणी साहू, सतरूपा साहू , असलम कुरैशी, रामनाथ यादव , गोदावरी साहू, समुन्दा सिदार, परवीन बानो, उषा बाई। सूर्यवंशी ,अब्दुल करीम ने बच्चो को बधाई दी शास. पूर्व माध्यमिक शाला झलमला के प्रधान पाठिका श्रीमती मनीषा गौतम यादव जी ने अपने उद्बोधन में शाला में उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उपयोग और शाला विकास में समाज की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया एवं बालक / बालिका के सम्पूर्ण विकास के लिए बाल कैबिनेट को जरूरी बताया साथ ही कहा कि सभी अपने दायित्वों और कामो को ईमानदारी से करे तो सब काम अच्छे से हो जाएगा एवं इसके लिए सभी शिक्षकों के नवाचार प्रयासों की बात कह शिक्षा सप्ताह षष्ठम दिवस पर एक वृक्ष माँ के नाम के अवसर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें शाला के वरिष्ठ शिक्षक श्री नरेन्द्र कश्यप जी , श्री शारदेन्द्र कुमार श्रीवास जी , श्री गोपाल कोशले जी, श्री हिरेन्द्र कांत कुर्रे जी के द्वारा विभिन्न पौधों का रोपड़ किया गया तथा उनके संरक्षण का संकल्प लिया गया।