अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। प्राचीन काल में सोने की चिड़िया के नाम से विभूषित भारत वर्ष समय के परिवर्तन के साथ विदेशी लुटेरों के द्वारा बारी बारी से लुटते गया है। अपनी संस्कृति के नाम से धर्म की धूरी एवं जगतगुरु समझा जाने वाला हमारा यह देश स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों के बाद भी अपनी प्राचीन गौरव को हासिल नहीं कर पाया है। आखिर इसका कारण क्या है? शायद पूर्व के शासको ने सोचने का प्रयास नहीं किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भी यदि महात्मा गांधी एवं उस समय के शीर्षस्थ राजनेता इस बात की ओर ध्यान दिये होते तो आज भारत विश्वगुरू के पद को पुनः प्राप्त कर लिया होता। इस बीच देश में जो भी समस्या आयी और आ रही है। इसका मूल कारण है हिन्दू स्वराज्य और संस्कृति की ओर ध्यान न देना।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् इधर काफी समय से कुछ हिन्दू वादी संगठनों के राष्ट्र भक्त नेताओं के द्वारा भारत में गुलामी के समस्त प्रतिको को हटाने के साथ यथार्थ में धर्म निरपेक्षता का पर्याय एवं भारत के जन जन का कल्याण कारी " हिन्दू स्वराज्य" की स्थापना करने हेतु संघर्ष किए जा रहे हैं, मगर कुछ मुस्लिम मुल्लाओं की भ्रष्ट नीति के साथ वोट की राजनीति करने वाली कांग्रेस पार्टी इसका विरोध कर रही है। यदि वास्तव में सोचा जाए तो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अखंड भारत का विभाजन बाबर के वंशजों ने ही किया। इसके परिणामस्वरूप एक नये मुस्लिम राष्ट्र का जन्म हुआ। उस समय यहां के नेताओं को यह चाहिए था कि यदि विखंडित भारत का एक खंड मुस्लिम राष्ट्र घोषित हो रहा है तो दूसरा खंड हिन्दू राष्ट्र घोषित हो। मगर उन्होंने ऐसा नहीं चाहा, जिसका परिणाम आज हर समय साम्प्रदायिक दंगों के रूप में देखने को मिलता है। मुस्लिम देश भारत को पुनः विखंडित करने के साजिश में लगे रहते हैं। ताकि यह देश टुटकर बिखर जाए।
हमारे देश के धर्म निरपेक्षता की दुहाई देने वाले नेताओं , कठमुल्लाओ को यह नहीं मालूम कि हिन्दू शब्द का अर्थ क्या है। जबकि धर्म शास्त्र, इतिहास, पुराण आदि ग्रंथों, संस्कृत, अंग्रेजी कोषों एवं फारसी , उर्दू लुगतो में इसका वर्णन मिलता है। इसे पढ़कर और समझकर भारत ही नही वरन दुनिया का हर मानवतावादी व्यक्ति हिन्दू के अतिरिक्त दूसरे राष्ट्र का समर्थन नहीं करेगा।
पारिजात हरण नाटक में हिन्दू शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि जो अपने शारीरिक एवं मानसिक पापो को तपश्चचर्या द्वारा विनाश करें और शत्रुओं का नाश करें ,वह हिन्दू है। शब्द कल्पद्रुम में हिंसक कार्यो से घृणा करने वाले को हिन्दू कहा गया है। मेदिनीकोष के अनुसार जो सब दोषों को दूर करता है , अन्याय मार्ग पर चलने से रोकता है तथा जो प्राणी मात्र के कल्याण की कामना करता है, वह हिन्दू है। राम कोष में कहा गया है कि हिन्दू न दुष्ट होता है न अन्यायी होता है और न विदुषक होता है। वह सद्धर्मपालक , विद्वान और वैदिक धर्म में निरंतर रत रहता है। मोहम्मद करीम छागला ने हिन्दुत्व को एक ऐसा धर्म कहा है, जिसकी विशिष्टता उसकी सहिष्णुता में है। आचार्य विनोबा के अनुसार हिंसा से घृणा करने वाला व्यक्ति हिन्दू है।
इस तरह से उक्त तथ्यों से पता चलता है कि विश्व का प्रत्येक स्वाभिमानी व्यक्ति हिन्दू है। हिन्दुत्व एक सार्वभौमिक धारणा है। यह सम्प्रदाय नहीं बल्कि एक मानव धर्म है। और इन्हीं गुणों के आधार पर भारत में हिन्दू स्वराज्य की स्थापना करना अत्यंत आवश्यक है। जब तक लोगों के दिल में भारत भूमि के प्रति स्नेह और वहां के जनता के प्रति सद्भावना न होगी तब तक आपको बिना वजह असुरक्षित महसूस करने वाले और सरकार से अपनी सुरक्षा की मांग करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ यहां की बहुसंख्यक जनता अपना तालमेल कैसे बिठा पायेगी। दोनों के बीच मधुर संबंध कैसे बन पायेगा।
अतः भारत में हिन्दू स्वराज्य की स्थापना में ही जन जन का कल्याण है। भारत केवल हिन्दू राष्ट्र के रूप में ही उत्तम है।
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