
दिल दिमाग जान मेरी सब बेजुबान है
राही है हमसफर तू ही तू मेरा मेहमान है
जुगनू रात में टीम टिमाते रहते हैं
हम रात भर सनम तुम्हे याद करते हैं
थक गया हूँ दुनिया की जंग से मैं हारकर
तुझको सजाया है दिल में मोहब्बत बनाकर
मुलाकात हुए मुद्दत बीत गई है
इल्जाम हटाकर अब मिलो एक बार आकर
श्रृंगार तेरा अद्भुत सजाया है ये किसने
तेरी रूहानी सांसों को रंगा है रब ने
तेरी जुदाई हमको ये मार न डाले
मुझमें बसी है जान मेरी तू जान बनकर
-सोनू कुमार दीपचंद
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