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Bahraich News; विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस: रुपैडिहा में जागरूकता रैली, बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर जोर

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अतुल्य भारत चेतना
रईस

रुपैडिहा/बहराइच। विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस के अवसर पर 30 जुलाई 2025 को रुपैडिहा में एक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की मानव तस्करी रोधी इकाई की प्रभारी मोहिनी सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रैली को एसएसबी कैंप से रवाना किया। रैली में “मानव तस्करी को ना कहें” और “हर जीवन की कीमत होती है” जैसे नारों के साथ स्थानीय समुदाय को जागरूक किया गया। रैली रुपैडिहा चौराहा, सरकारी और प्राइवेट बस स्टैंड होते हुए चेक पोस्ट तक निकाली गई। इस दौरान पंपलेट वितरण, स्टीकर चस्पा, और जनसंवाद के माध्यम से मानव तस्करी के प्रकार, कारण, प्रभाव, और कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी गई। विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर जोर दिया गया और हेल्पलाइन नंबर 1098 (चाइल्डलाइन) और 112 (पुलिस आपातकाल) की जानकारी साझा की गई। यह आयोजन मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और समाज को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

रैली का आयोजन और उद्देश्य

विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस, जो हर साल 30 जुलाई को मनाया जाता है, मानव तस्करी के खिलाफ वैश्विक जागरूकता बढ़ाने और इसके उन्मूलन के लिए प्रयासों को प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करता है। रुपैडिहा, जो भारत-नेपाल सीमा पर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सामाजिक केंद्र है, में यह रैली विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्र मानव तस्करी के लिए संवेदनशील माने जाते हैं। रैली का आयोजन एसएसबी की मानव तस्करी रोधी इकाई और देहात इंडिया संस्था के सहयोग से किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य स्थानीय समुदाय, विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं, को तस्करी के खतरों से अवगत कराना और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए जागरूक करना था।

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एसएसबी की प्रभारी मोहिनी सिंह ने रैली को रवाना करते हुए कहा, “मानव तस्करी एक गंभीर अपराध है, जो समाज के कमजोर वर्गों, खासकर बच्चों और महिलाओं, को निशाना बनाता है। इस रैली के माध्यम से हम लोगों को जागरूक करना चाहते हैं कि वे सतर्क रहें और तस्करी के खिलाफ आवाज उठाएं।”

रैली का मार्ग और गतिविधियां

रैली सुबह 10 बजे एसएसबी कैंप से शुरू हुई और रुपैडिहा के प्रमुख स्थानों, जैसे रुपैडिहा चौराहा, सरकारी और प्राइवेट बस स्टैंड, और चेक पोस्ट तक निकाली गई। रैली में शामिल प्रतिभागियों ने मानव तस्करी के खिलाफ नारे लगाए, जैसे:

“मानव तस्करी को ना कहें, हर जीवन की रक्षा करें!”

“हर जीवन की कीमत होती है, तस्करी को रोकें, जागरूकता फैलाएं!”

रैली के दौरान निम्नलिखित गतिविधियां आयोजित की गईं:

  1. पंपलेट वितरण: मानव तस्करी के प्रकार (जैसे श्रम तस्करी, यौन तस्करी, और जबरन विवाह), इसके कारण (गरीबी, अशिक्षा, और बेरोजगारी), और प्रभाव (मानसिक और शारीरिक शोषण) के बारे में जानकारी देने वाले पंपलेट वितरित किए गए।
  2. स्टीकर चस्पा: बस स्टैंड और चौराहों पर मानव तस्करी रोधी संदेशों वाले स्टीकर लगाए गए, ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक हों।
  3. जनसंवाद: रैली के दौरान स्थानीय लोगों से बातचीत की गई और उन्हें मानव तस्करी के कानूनी प्रावधानों, जैसे मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण, और पुनर्वास) विधेयक, 2018, और भारतीय दंड संहिता की धारा 370, की जानकारी दी गई।
  4. हेल्पलाइन नंबर: बच्चों की सुरक्षा के लिए चाइल्डलाइन हेल्पलाइन नंबर 1098 और आपातकालीन पुलिस सहायता के लिए 112 नंबर की जानकारी साझा की गई।

बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर जोर

रैली में विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया, क्योंकि ये समूह मानव तस्करी के सबसे आसान शिकार होते हैं। भारत-नेपाल सीमा पर मानव तस्करी एक गंभीर समस्या है, जहां बच्चों और महिलाओं को नौकरी, विवाह, या अन्य प्रलोभनों के बहाने तस्करी का शिकार बनाया जाता है। रैली में शामिल देहात इंडिया संस्था के पीसी मोहम्मद इमरान ने कहा, “हमारा उद्देश्य स्थानीय समुदाय को सतर्क करना है, ताकि वे अज्ञात व्यक्तियों के प्रलोभनों से बचें और अपने बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें।”

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रैली में शामिल महिलाओं और बच्चों ने भी तस्करी के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाई। स्थानीय निवासी राधा देवी ने कहा, “हमें नहीं पता था कि तस्करी इतने रूपों में हो सकती है। इस रैली ने हमें सिखाया कि अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए सतर्कता कितनी जरूरी है।”

उपस्थित प्रतिभागी

रैली में एसएसबी और देहात इंडिया संस्था के कई सदस्यों ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:

एसएसबी: मोहिनी सिंह (मानव तस्करी रोधी इकाई प्रभारी), रेहान खान, यशवीर सिंह, सीमा चंद्र, विवाश सोनी।

देहात इंडिया संस्था: पीसी मोहम्मद इमरान, सीपीओ मुजम्मिल, नीरज, सरिता, पवन कुमार, निर्मला।

इन प्रतिभागियों ने रैली को संगठित करने और जनसंवाद के माध्यम से जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मानव तस्करी की स्थिति और चुनौतियां

भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र मानव तस्करी के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, भारत में हर साल लाखों लोग मानव तस्करी का शिकार बनते हैं, जिनमें 40% बच्चे और 50% महिलाएं होती हैं। रुपैडिहा जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्कर अक्सर नौकरी, शिक्षा, या विवाह के प्रलोभन देकर लोगों को फंसाते हैं। लगातार बारिश और आर्थिक तंगी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है।

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एसएसबी की मानव तस्करी रोधी इकाई इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। पिछले एक साल में, एसएसबी ने बहराइच और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में दर्जनों तस्करी के प्रयासों को विफल किया है और कई पीड़ितों को बचाया है। हालांकि, जागरूकता की कमी और सीमित संसाधन इस लड़ाई में बड़ी चुनौतियां हैं।

सामाजिक प्रभाव और भविष्य की दिशा

यह जागरूकता रैली रुपैडिहा में मानव तस्करी के खिलाफ सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम थी। स्थानीय लोगों ने रैली की सराहना की और मांग की कि इस तरह के आयोजन नियमित रूप से किए जाएं। रैली ने न केवल तस्करी के खतरों को उजागर किया, बल्कि हेल्पलाइन नंबरों और कानूनी प्रावधानों की जानकारी देकर लोगों को सशक्त बनाया।

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देहात इंडिया संस्था की सरिता ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हर व्यक्ति तस्करी के खतरों को समझे और अपने समुदाय को सुरक्षित रखने में योगदान दे। भविष्य में हम स्कूलों और गांवों में जागरूकता शिविर आयोजित करेंगे।” एसएसबी ने भी आश्वासन दिया कि वे सीमा क्षेत्र में निगरानी बढ़ाएंगे और तस्करी के खिलाफ अपनी कार्रवाइयों को और तेज करेंगे।

समापन

विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस के अवसर पर रुपैडिहा में आयोजित जागरूकता रैली ने स्थानीय समुदाय को मानव तस्करी के खतरों से अवगत कराने और बच्चों व महिलाओं की सुरक्षा पर जोर देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एसएसबी और देहात इंडिया संस्था के सहयोग से आयोजित इस रैली ने नारों, पंपलेट, और जनसंवाद के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। हेल्पलाइन नंबर 1098 और 112 की जानकारी साझा करके समुदाय को सशक्त बनाने का प्रयास किया गया। यह आयोजन भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने और समाज को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम था।

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