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Vidisha News; स्मार्ट मीटर के खिलाफ नटेरन में उबाल: भूख हड़ताल, ढोल-नगाड़ों के साथ जंगी प्रदर्शन, एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

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अतुल्य भारत चेतना
ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी

नटेरन/विदिशा। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की नटेरन तहसील में स्मार्ट मीटर और बढ़ते बिजली बिलों के खिलाफ जनता का गुस्सा सड़कों पर फट पड़ा है। स्मार्ट मीटर को “जी का जंजाल” करार देते हुए स्थानीय लोगों, मजदूरों, और छोटे व्यवसायियों ने पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है। 4 अगस्त 2025 को नटेरन में ढोल-नगाड़ों के साथ जंगी प्रदर्शन किया गया और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की शुरुआत की गई। अतुल्य भारत चेतना ब्यूरो के नेतृत्व में हाकम सिंह रघुवंशी और अन्य प्रदर्शनकारियों ने नटेरन के एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर स्मार्ट मीटर हटाने और पुराने मीटर की व्यवस्था बहाल करने की मांग की। यह विरोध गुलाबगंज में तीन दिन की भूख हड़ताल के बाद और तेज हुआ, जहां व्यापारियों के समर्थन से बाजार बंद रहा। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्मार्ट मीटर ने उनकी आर्थिक स्थिति पर भारी बोझ डाला है और यह गरीब व मजदूर वर्ग के लिए मुसीबत बन गया है।

स्मार्ट मीटर का बढ़ता विरोध

विदिशा जिले की सभी तहसीलों में स्मार्ट मीटर के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। नटेरन में स्थानीय लोग स्मार्ट मीटर को “जी का जंजाल” बता रहे हैं, क्योंकि इसके लगने के बाद बिजली बिलों में कई गुना वृद्धि हुई है। नटेरन के पप्पू प्रजापति, जो एक छोटे व्यवसायी हैं, ने बताया, “पहले मेरा काम ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन अब स्मार्ट मीटर के कारण महीने में 1100 से 1500 रुपये का बिल आ रहा है। मेरी पूरी कमाई बिजली बिल में चली जाती है।” इसी तरह, लखन सिंह ने चिंता जताई कि “आधी रात को रिचार्ज खत्म होने पर बिजली कट जाती है, और रात में कोई सुनवाई नहीं होती।”

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महिलाओं ने भी स्मार्ट मीटर के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। नटेरन की कई महिलाओं ने बताया कि पहले उनके बिजली बिल 200 से 400 रुपये के बीच आते थे, लेकिन अब 15,000 से 20,000 रुपये तक के बिल आ रहे हैं। एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम मजदूरी करके और रोजाना जीवन यापन करके कैसे इतने भारी-भरकम बिल चुका सकते हैं? स्मार्ट मीटर में कोई न कोई बड़ी खामी है, जो गरीब और मजदूर वर्ग के लिए मुसीबत बन रही है।”

नटेरन में जंगी प्रदर्शन और भूख हड़ताल

नटेरन में 4 अगस्त 2025 को ढोल-नगाड़ों के साथ जंगी प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों स्थानीय लोग, मजदूर, और महिलाएं शामिल हुईं। प्रदर्शनकारी अतुल्य भारत चेतना ब्यूरो के ब्यूरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी के नेतृत्व में एकजुट हुए और नटेरन के प्रमुख चौराहों पर नारेबाजी की। नारों में “स्मार्ट मीटर हटाओ, पुराना मीटर लाओ” और “बिजली बिल की लूट बंद करो” जैसे संदेश प्रमुख थे। प्रदर्शनकारियों ने नटेरन के एसडीएम कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्मार्ट मीटर हटाने, बिलों में सुधार, और पुरानी मीटर व्यवस्था बहाल करने की मांग की गई।

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यह प्रदर्शन गुलाबगंज में तीन दिन की भूख हड़ताल के बाद और तेज हुआ। गुलाबगंज में अभिषेक रघुवंशी जैसे प्रदर्शनकारियों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसमें व्यापारियों ने समर्थन देते हुए बाजार बंद रखा। नटेरन में भी इसी तरह का आक्रोश देखा गया, जहां स्थानीय लोग बिजली विभाग के कार्यालयों के चक्कर काटने और बिना सुनवाई के परेशान होने की शिकायत कर रहे हैं।

स्मार्ट मीटर की समस्याएं

नटेरन और गुलाबगंज के लोगों ने स्मार्ट मीटर से जुड़ी कई समस्याओं को उजागर किया। इनमें शामिल हैं:

अत्यधिक बिल: स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिलों में 10 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, जो गरीब और मध्यम वर्ग के लिए असहनीय है।

रात में बिजली कटौती: प्रीपेड स्मार्ट मीटर में रिचार्ज खत्म होने पर रात में बिजली कट जाती है, जिससे परिवारों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों, को परेशानी होती है।

पारदर्शिता की कमी: स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्मार्ट मीटर की रीडिंग और बिलिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है, और बिजली विभाग शिकायतों का समाधान नहीं करता।

आर्थिक बोझ: मजदूर और छोटे व्यवसायी अपनी सीमित कमाई का बड़ा हिस्सा बिजली बिल में खर्च करने को मजबूर हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।

नटेरन की एक महिला ने कहा, “हमारे लिए स्मार्ट मीटर कोई स्मार्ट समाधान नहीं है। यह हमारे लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया है। हम पुराने मीटर चाहते हैं, जो हमारी जेब के हिसाब से थे।”

बिजली विभाग का रुख

बिजली विभाग ने स्मार्ट मीटर को उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद बताया है। विभाग के अनुसार, स्मार्ट मीटर से बिलिंग में पारदर्शिता आती है, और उपभोक्ता अपने बिजली खपत पर नजर रख सकते हैं। प्रीपेड स्मार्ट मीटर पर रिचार्ज करने पर 3 प्रतिशत की छूट भी दी जा रही है, जिसमें 1.5% पूर्व भुगतान, 1% ऑनलाइन रिचार्ज, और 0.5% स्मार्ट मीटर पर वित्तीय लाभ शामिल है। इसके अलावा, 2000 रुपये या अधिक रिचार्ज पर ब्याज का लाभ भी दिया जा रहा है।

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हालांकि, नटेरन और गुलाबगंज के लोग इन दावों से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि बिजली विभाग उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहा, और स्मार्ट मीटर की तकनीकी खामियां बिलों में वृद्धि का कारण बन रही हैं। कुछ स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि बिजली विभाग ने स्मार्ट मीटर का विरोध करने वाले घरों की बिजली काट दी, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

स्मार्ट मीटर का विरोध अब केवल नटेरन और गुलाबगंज तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूरे मध्य प्रदेश की समस्या बन चुकी है। विदिशा जिले में यह आंदोलन पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र में हो रहा है, जिसने इसे राजनीतिक रंग भी दे दिया है। अन्य क्षेत्रों, जैसे ब्यावर, चूरू, और श्रीगंगानगर में भी कांग्रेस और अन्य संगठनों ने स्मार्ट मीटर के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं, जिसमें ऊर्जा मंत्री और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपे गए।

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नटेरन में हाकम सिंह रघुवंशी और अतुल्य भारत चेतना ब्यूरो ने इस आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। स्थानीय लोग और संगठन पुराने मीटर की व्यवस्था बहाल करने और स्मार्ट मीटर की तकनीकी खामियों की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।

समापन

नटेरन और गुलाबगंज में स्मार्ट मीटर के खिलाफ चल रहा आंदोलन स्थानीय लोगों की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को उजागर करता है। ढोल-नगाड़ों के साथ जंगी प्रदर्शन, भूख हड़ताल, और एसडीएम को ज्ञापन सौंपने जैसे कदमों ने इस मुद्दे को गंभीरता से सामने लाया है। स्मार्ट मीटर से बढ़े बिलों ने गरीब और मजदूर वर्ग पर भारी आर्थिक बोझ डाला है, जिसके खिलाफ जनता एकजुट हो रही है। बिजली विभाग के दावों और स्थानीय लोगों की शिकायतों के बीच सुलह की जरूरत है, ताकि इस समस्या का समाधान हो सके। नटेरन के लोग अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और पुराने मीटर की व्यवस्था बहाल होने तक विरोध जारी रखने का संकल्प ले चुके हैं।

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