अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी
कैराना/शामली। यमुना नदी के जलस्तर में बुधवार, 23 जुलाई 2025 को 105 सेंटीमीटर की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई, जिससे कैराना के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली। हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में 21,275 क्यूसेक पानी प्रवाहित किया गया, जो पिछले दिनों की तुलना में कम है। इस कमी के कारण यमुना का जलस्तर 229.450 मीटर पर आ गया, जो मंगलवार को 230.500 मीटर के चेतावनी बिंदु के करीब पहुंच गया था।
जलस्तर में गिरावट का विवरण
ड्रेनेज विभाग के अवर अभियंता आशु कुमार ने बताया कि बुधवार सुबह 8 बजे हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में अधिकतम 21,275 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। यह मात्रा पिछले कुछ दिनों में छोड़े गए पानी की तुलना में कम है, जिसके परिणामस्वरूप कैराना में यमुना के जलस्तर में 105 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई। मंगलवार को यमुना का जलस्तर 230.500 मीटर पर था, जो चेतावनी बिंदु (231.000 मीटर) के करीब पहुंचने से तटवर्ती बाशिंदों में चिंता का कारण बन गया था। बुधवार को जलस्तर घटकर 229.450 मीटर पर आने से क्षेत्र में राहत का माहौल है।
इसे भी पढ़ें : स्किल को बेहतर बनाने वाले रोजगार परक कोर्स और आय की संभावनाएं
तटवर्ती क्षेत्रों पर प्रभाव
यमुना के जलस्तर में इस कमी ने खादर क्षेत्र के गांवों, जैसे इस्सापुर खुरगान, पठेड़, और अन्य तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को राहत प्रदान की है। मंगलवार को जलस्तर के चेतावनी बिंदु के करीब पहुंचने से किसानों और स्थानीय निवासियों में बाढ़ का डर बढ़ गया था, क्योंकि यमुना नदी पहले भी क्षेत्र में फसलों और संपत्ति को नुकसान पहुंचा चुकी है। 2023 की बाढ़, जब हथिनीकुंड बैराज से 3.59 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, ने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी, जिसकी यादें अभी भी लोगों के जेहन में ताजा हैं।
प्रशासन की निगरानी
आशु कुमार ने बताया कि ड्रेनेज विभाग यमुना के जलस्तर पर निरंतर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा, “वर्तमान में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।” बाढ़ चौकियों को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके। प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया कि यमुना का जलस्तर खतरे का निशान (231.500 मीटर) से नीचे है, और निकट भविष्य में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है।
इसे भी पढ़ें : भारत में नॉन एल्कोहल सॉफ्ट ड्रिंक्स का बाजार विश्लेषण और व्यवसाय के अवसर
पर्यावरणीय और सामाजिक संदर्भ
हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में पानी का प्रवाह मौसम और ऊपरी यमुना बेसिन में बारिश पर निर्भर करता है। हाल के दिनों में पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता में कमी आई है, जिसके कारण बैराज से छोड़े गए पानी की मात्रा में भी कमी आई। 21 जुलाई को बैराज से 28,261 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो इस मानसून सीजन का अधिकतम था। इसके बाद जलस्तर में लगातार उतार-चढ़ाव देखा गया, लेकिन बुधवार को जलस्तर में कमी ने तटवर्ती क्षेत्रों को राहत दी।
इसे भी पढ़ें : पतंजलि की डिजिटल कृषि पर रिसर्च: किसानों के लिए फायदेमंद, उत्पादन में इजाफा
यमुना नदी का जलस्तर कैराना के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्र खेती पर निर्भर है, और बाढ़ की स्थिति फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। 2022 में यमुना का जलस्तर 229.80 मीटर तक पहुंचा था, जिससे खादर क्षेत्र के किसानों को चिंता हुई थी। इस बार जलस्तर में कमी ने किसानों को राहत दी है, और उनकी फसलों को नुकसान की आशंका कम हो गई है।
भविष्य की आशंकाएं और सावधानियां
हालांकि वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऊपरी यमुना बेसिन में बारिश की स्थिति के आधार पर जलस्तर में फिर से वृद्धि हो सकती है। यमुना एक्टिविस्ट भीम सिंह रावत ने बताया कि यदि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश होती है, तो हथिनीकुंड बैराज से अधिक पानी छोड़ा जा सकता है, जिससे जलस्तर बढ़ सकता है। प्रशासन ने तटवर्ती गांवों में रहने वाले लोगों से सतर्क रहने और बाढ़ चौकियों के निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
सामुदायिक प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने यमुना के जलस्तर में कमी को राहत की बात बताया। पठेड़ गांव के एक किसान रमेश कुमार ने कहा, “पिछले साल बाढ़ ने हमारी फसलों को बर्बाद कर दिया था। इस बार जलस्तर कम होने से थोड़ी राहत मिली है, लेकिन हमें हमेशा डर बना रहता है।” स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि यमुना के कटाव को रोकने के लिए तटबंधों को मजबूत किया जाए और नियमित निगरानी की जाए।
इसे भी पढ़ें : पतंजलि की डिजिटल कृषि पर रिसर्च: किसानों के लिए फायदेमंद, उत्पादन में इजाफा
कैराना में यमुना के जलस्तर में आई इस गिरावट ने तटवर्ती क्षेत्रों में राहत का माहौल बनाया है। रोटरी क्लब जैसे सामाजिक संगठनों द्वारा हाल ही में किए गए पौधारोपण जैसे प्रयास भी पर्यावरण संरक्षण और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं। प्रशासन और समुदाय की सतर्कता से उम्मीद है कि भविष्य में बाढ़ जैसी आपदाओं को रोका जा सकेगा।