अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी
कैराना/शामली। नगर पालिका परिषद (नपा) कैराना के चेयरमैन शमशाद अहमद अंसारी के खिलाफ सभासदों का धरना सोमवार, 7 जुलाई 2025 को चौथे दिन भी पालिका प्रांगण में जारी रहा। धरनारत सभासदों ने चेयरमैन पर निरंकुशता, तानाशाही, और हठधर्मिता के गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही, उन्होंने विकास कार्यों में अनदेखी और जनता की समस्याओं को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया है। सभासदों ने अपनी मांगें पूरी होने तक धरना-प्रदर्शन जारी रखने का ऐलान किया है।
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धरने को सामाजिक संगठनों का समर्थन
धरनास्थल पर किसान यूनियन, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), बहुद्देश्यीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति लिमिटेड भूरा (बी-पैक्स), और मानवाधिकार आयोग सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पहुंचकर अपना समर्थन जताया। समर्थन देने वालों में किसान यूनियन के कैराना नगराध्यक्ष नवाब बागबान, बी-पैक्स के चेयरमैन मुस्तफा चौधरी, रालोद के कैराना नगराध्यक्ष डॉ. कय्यूम, और मानवाधिकार आयोग के सगीर अंसारी शामिल रहे। इस समर्थन ने धरनारत सभासदों का हौसला बढ़ाया है।
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धरने का विवरण
धरना शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 से शुरू हुआ था, जब नगर पालिका परिषद के कुछ निर्वाचित सभासदों ने पालिका प्रांगण में चेयरमैन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया। सभासदों का कहना है कि नपा चेयरमैन शमशाद अहमद अंसारी ने अपने कार्यकाल में विकास कार्यों को नजरअंदाज किया और जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। सभासदों ने चेयरमैन की कार्यशैली को तानाशाही और मनमानी करार देते हुए उनकी कार्यप्रणाली के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। धरने में सभासद तौसीफ चौधरी, फुरकान अली, साजिद अली, राशिद बागबान, उम्मेद राणा, शाहिद हसन, राजपाल सिंह, फिरोज खान, सालिम चौधरी, बलवान सिंह, हारुण कुरैशी सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।
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सभासदों की मांगें और रणनीति
धरनारत सभासदों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे धरना और प्रदर्शन जारी रखेंगे। हालांकि, समाचार में उनकी विशिष्ट मांगों का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि सभासद चेयरमैन की कार्यशैली और विकास कार्यों में कथित अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं। सामाजिक संगठनों के समर्थन से धरने को और बल मिला है, और सभासदों ने अपनी लड़ाई को और तेज करने का संकल्प लिया है।
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स्थानीय महत्व
यह धरना कैराना में नगर पालिका प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। सभासदों और सामाजिक संगठनों का एकजुट होना इस मुद्दे को और गंभीर बनाता है। यह प्रदर्शन न केवल प्रशासनिक सुधारों की मांग को रेखांकित करता है, बल्कि स्थानीय जनता के बीच विकास और जवाबदेही के मुद्दों को भी उजागर करता है।