अतुल्य भारत चेतना
रईस
बहराइच। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बहराइच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में अधिशासी अभियंता, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, बहराइच को ऊषा देवी, एक विधवा महिला, को रू. 50,000 का हर्जाना और अन्य मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह निर्णय परिवाद सं. 41/2017 के तहत पारित किया गया, जिसमें परिवादिनी ने त्रुटिपूर्ण बिलिंग और उत्पीड़न की शिकायत की थी। आयोग के अध्यक्ष सुरेश चन्द्र भारती और सदस्य डॉ. मोनिका प्रियदर्शिनी ने यह आदेश 09 जून 2025 को जारी किया।
परिवाद का विवरण
ऊषा देवी, पत्नी स्व. अयोध्या प्रसाद, निवासी मोहल्ला गुदड़ी, बहराइच ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिशासी अभियंता के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। परिवादिनी ने दावा किया कि उनके खिलाफ जारी किया गया बिजली बिल गलत था। उन्होंने आयोग से बिल को निरस्त करने, पूर्व में जमा की गई राशि को समायोजित करने, मीटर बदलने, और उत्पीड़न व मुकदमेबाजी के खर्च के लिए मुआवजे की मांग की थी।
आयोग का निर्णय
आयोग ने मामले की सुनवाई के बाद पाया कि विद्युत विभाग ने त्रुटिपूर्ण बिल जारी किया और परिवादिनी की शिकायतों का समाधान करने में विफल रहा। अपने 09 जून 2025 के आदेश में, आयोग ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
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- बिल संशोधन: 16 अक्टूबर 2016 से 22 दिसंबर 2018 तक का बिल “फिक्स्ड चार्ज” के आधार पर संशोधित किया जाए।
- जमा राशि का समायोजन: परिवादिनी द्वारा 15 फरवरी 2017 को जमा रू. 5,000 और 29 सितंबर 2018 को जमा रू. 5,000, कुल रू. 10,000 को संशोधित बिल में समायोजित किया जाए।
- कनेक्शन पुनर्संयोजन: संशोधित बिल की राशि जमा करने पर परिवादिनी के नाम पर विद्युत कनेक्शन बहाल और हस्तांतरित किया जाए।
- मुआवजा: गलत बिल जारी करने और उत्पीड़न के लिए रू. 5,000 क्षतिपूर्ति और रू. 5,000 वाद व्यय के रूप में प्रदान किए जाएं।
- हर्जाना: रू. 50,000 का हर्जाना, 6% वार्षिक साधारण ब्याज के साथ, परिवाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा किया जाए। यदि यह राशि एक माह के भीतर भुगतान नहीं की जाती, तो ब्याज दर 7% वार्षिक होगी।
निर्णय का महत्व
यह निर्णय उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और सेवा प्रदाताओं की जवाबदेही को रेखांकित करता है। विशेष रूप से एक विधवा महिला को न्याय दिलाने में इसकी अहम भूमिका रही है। यह अन्य समान मामलों के लिए मिसाल कायम कर सकता है, जहाँ उपभोक्ताओं को गलत बिलिंग से परेशानी होती है। यह उपभोक्ता आयोगों की प्रभावशीलता को भी दर्शाता है।
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उपभोक्ताओं के लिए जानकारी
समान समस्याओं का सामना कर रहे उपभोक्ता जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए लिखित शिकायत, सहायक दस्तावेज और निर्धारित शुल्क जमा करना आवश्यक है। यह निर्णय उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक होने और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है।