अतुल्य भारत चेतना
अखिल सुर्यवंशी
छिंदवाड़ा। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. पवन नेमा ने बताया कि इस मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ रही है, जिसके परिणामस्वरूप पाचन और त्वचा संबंधी रोगों, फ्लू, और अन्य संक्रामक बीमारियों में वृद्धि हो रही है। पानी और नमक की कमी से रक्त संचार में बाधा और हीट स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसके अलावा, उल्टी-दस्त, पीलिया, टाइफाइड, वायरल फीवर, त्वचा में जलन, और पेट में ऐंठन जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी आम हो रही हैं। डॉ. नेमा ने गर्मी और लू से बचाव के लिए कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय और सावधानियां सुझाई हैं, जो इस मौसम में स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।
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गर्मी के दुष्प्रभाव
डॉ. नेमा के अनुसार, गर्मी के कारण शरीर में कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जिनमें शामिल हैं:
- हीट स्ट्रोक: अत्यधिक तापमान के कारण शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाना।
- पाचन समस्याएं: उल्टी, दस्त, और पेट में मरोड़।
- त्वचा रोग: जलन, खुजली, और त्वचा पर चकत्ते।
- संक्रामक रोग: पीलिया, टाइफाइड, और वायरल फीवर।
- डिहाइड्रेशन: पानी और नमक की कमी से रक्त संचार में रुकावट।
लू और गर्मी से बचाव की सावधानियां
लू और गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए डॉ. नेमा ने निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी:
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- धूप में बाहर न निकलें: दोपहर 12:00 से शाम 4:00 बजे तक धूप में निकलने से बचें, क्योंकि इस समय लू का खतरा सबसे अधिक होता है।
- नियमित जलपान: घर से निकलने से पहले खूब पानी पिएं और दिनभर नियमित अंतराल पर पानी पीते रहें।
- उचित कपड़े: हल्के रंग के ढीले-ढाले सूती वस्त्र पहनें, जो हवा का संचार बनाए रखें और पसीने को सोखकर शरीर को ठंडा रखें।
- धूप से सुरक्षा: धूप के चश्मे, टोपी, और छाते का उपयोग करें।
- स्वस्थ आहार: ताजा घर का बना भोजन करें और बाजार के तले-भुने, बासी, या अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
हीट स्ट्रोक का प्राथमिक उपचार
हीट स्ट्रोक होने पर तुरंत निम्नलिखित कदम उठाएं:
- ठंडे स्थान पर ले जाएं: व्यक्ति को छायादार और ठंडी जगह पर ले जाएं।
- शारीरिक तापमान कम करें: ठंडे पानी से स्नान कराएं या ठंडे पानी में भिगोए कपड़े से शरीर को बार-बार पोंछें।
- चिकित्सक से संपर्क: शरीर का तापमान सामान्य होने के बाद तुरंत चिकित्सक के पास ले जाएं।
आयुर्वेदिक उपाय और पेय
डॉ. नेमा ने लू से बचाव के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक पेय और औषधियों के उपयोग की सलाह दी:
आयुर्वेदिक पेय
- कच्चे आम का पना: डिहाइड्रेशन से बचाता है और शरीर को ठंडक प्रदान करता है।
- नारियल पानी: इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति करता है और हाइड्रेशन बनाए रखता है।
- नींबू की शिकंजी: विटामिन सी और मिनरल्स से युक्त, जो ऊर्जा प्रदान करती है।
- खस, चंदन, और गुलाब का शरबत: शीतलता और ताजगी प्रदान करते हैं।
- छाछ या लस्सी: पाचन को बेहतर बनाती है और शरीर को हाइड्रेट रखती है।
- गन्ने का रस: प्राकृतिक शर्करा और मिनरल्स से भरपूर, जो ऊर्जा देता है।
- चने का सत्तू: प्रोटीन और फाइबर युक्त, जो गर्मी में ताकत और ठंडक प्रदान करता है।
- फालसा और केवड़ा का शरबत: एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर, जो त्वचा और पाचन के लिए लाभकारी हैं।
आयुर्वेदिक औषधियां
- चंदन वटी: शरीर को शीतलता प्रदान करती है और लू से बचाव में सहायक है।
- पंचघृत गुग्गल: पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- चंदनासव: गर्मी से होने वाली जलन और बेचैनी को कम करता है।
- पंचघृत आधारित औषधियां: लू और गर्मी से संबंधित समस्याओं के लिए प्रभावी हैं।
डॉ. नेमा की विशेष सलाह
डॉ. नेमा ने सुझाव दिया कि आयुर्वेदिक उपायों के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव लू और गर्मी से बचाव में महत्वपूर्ण हैं। नियमित जलपान, पौष्टिक आहार, और उचित सावधानियां अपनाकर गर्मी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सकता है। उन्होंने यह भी सलाह दी कि किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग करने से पहले योग्य आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
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गर्मी का यह मौसम स्वास्थ्य के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन आयुर्वेदिक उपाय और सावधानियां अपनाकर इससे बचा जा सकता है। डॉ. पवन नेमा के सुझाए उपाय न केवल गर्मी और लू से राहत प्रदान करते हैं, बल्कि शरीर को स्वस्थ, हाइड्रेटेड, और ऊर्जावान रखने में भी मदद करते हैं। इस मौसम में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और आयुर्वेद के इन प्राकृतिक नुस्खों को अपनाकर गर्मी का आनंद लें।