अतुल्य भारत चेतना
अखिल सुर्यवंशी
परासिया। क्या परासिया में कानून से ऊपर हो गया है राजनीतिक रसूख? यह सवाल आज शहर के हर गली-मोहल्ले में गूंज रहा है। नगर पालिका परिषद परासिया के अध्यक्ष विनोद मालवीय के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी न होना, स्थानीय जनता के बीच आक्रोश और संदेह को जन्म दे रहा है।
मामला और आरोप
25 अप्रैल 2025 को थाना परासिया में विनोद मालवीय के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 61(2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। ये धाराएं साइबर माध्यम से आपत्तिजनक या अनुचित सामग्री के प्रसारण जैसे गंभीर अपराधों से संबंधित हैं। इसके अतिरिक्त, सूत्रों के अनुसार, मालवीय के खिलाफ पहले भी आईटी एक्ट के तहत एक अन्य मामला दर्ज हुआ था, जो वर्तमान में न्यायालय में लंबित है।
इसे भी पढ़ें : Shiv Mandir Lucknow; लखनऊ स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर और उनकी महिमा
गिरफ्तारी में देरी, जनता में रोष
इन गंभीर आरोपों के बावजूद, पुलिस द्वारा अब तक कोई गिरफ्तारी न किए जाने से मामला संदिग्ध बन गया है। स्थानीय निवासियों में इस बात को लेकर गहरी नाराजगी है। एक नागरिक ने गुस्से में कहा, “जब एक आम आदमी पर छोटे-मोटे आरोप में तुरंत कार्रवाई हो जाती है, तो एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को ऐसी छूट क्यों दी जा रही है?” शहर में यह चर्चा जोरों पर है कि सत्ता और राजनीतिक संरक्षण के चलते कार्रवाई में जानबूझकर देरी की जा रही है।
इसे भी पढ़ें : ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हिना खान बनीं कोरिया टूरिज्म की ब्रांड एंबेसडर
सूचना के अधिकार का जवाब नहीं
स्थानीय लोगों ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत इस मामले की जानकारी मांगने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने स्पष्ट जवाब देने से परहेज किया। यह अस्पष्टता प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है या किसी दबाव का परिणाम, यह सवाल परासिया की जनता को परेशान कर रहा है।
इसे भी पढ़ें : गर्मी में कूलर को बनाएं AC : आसान हैक्स और टिप्स
कानूनी विशेषज्ञों की राय
एक स्थानीय अधिवक्ता ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा, “यदि कोई जनप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन करता है, तो उस पर और सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसी ढिलाई गलत मिसाल कायम करती है और कानून के प्रति जनता का भरोसा कमजोर करती है।”
जनता के सवाल
यह मामला अब केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है। यह सवाल उठता है कि क्या कानून वास्तव में सबके लिए समान है? क्या सत्ता और प्रभावशाली लोग कानून से ऊपर हैं? परासिया की जनता इस बात से आहत है कि एक निर्वाचित पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई में इतनी देरी क्यों हो रही है।
विनोद मालवीय के खिलाफ दर्ज प्रकरण और उनकी गिरफ्तारी में देरी ने परासिया में कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। जनता अब जवाब का इंतजार कर रही है—क्या कानून अपना काम करेगा, या सत्ता का संरक्षण इस मामले को दबा देगा?
जवाब अभी बाकी है।