अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
परिचय
मथुरा। 19 मई, 2025 को, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की उप-निरीक्षक गीता समोटा ने 8,849 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया। वह सीआईएसएफ की पहली महिला अधिकारी बनीं, जिन्होंने ‘दुनिया की छत’ को फतह किया। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह सीआईएसएफ और पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। उनकी इस उपलब्धि ने सोशल मीडिया पर भी व्यापक प्रशंसा प्राप्त की।

गीता समोटा की पृष्ठभूमि
राजस्थान के सीकर जिले के चक गांव की रहने वाली 35 वर्षीय गीता समोटा एक साधारण परिवार से हैं। चार बहनों के साथ पारंपरिक ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी गीता ने हमेशा बाधाओं को तोड़ने का संकल्प लिया। उनके पिता किशनाराम बताते हैं कि गीता शुरू से ही पढ़ाई में तेज थीं। उन्होंने गांव में आठवीं तक पढ़ाई की, फिर खाचरियावास से दसवीं और सीकर से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। दोनों बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंक लाने के कारण उन्हें गार्गी पुरस्कार के लिए चुना गया। इसके बाद, जयपुर के महारानी कॉलेज में बीएससी बायोलॉजी की पढ़ाई के दौरान उन्होंने एनसीसी की एयर विंग में सी-सर्टिफिकेट हासिल किया। यहीं से उनकी नौकरी सीआईएसएफ में लग गई, और नौकरी के साथ-साथ उन्होंने एमए भी पूरा किया।
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गीता एक होनहार हॉकी खिलाड़ी थीं, लेकिन एक चोट ने उनके खेल करियर को रोक दिया। इस झटके ने उन्हें पर्वतारोहण की राह दिखाई, और 2011 में सीआईएसएफ में शामिल होने के बाद उन्होंने इस जुनून को अपनाया। वर्तमान में, वह सीआईएसएफ की उदयपुर हवाई अड्डा इकाई में तैनात हैं।
पर्वतारोहण का सफर
गीता का पर्वतारोहण सफर 2015 में शुरू हुआ, जब उन्होंने आईटीबीपी के औली प्रशिक्षण संस्थान में बेसिक पर्वतारोहण कोर्स में दाखिला लिया। वह अपने बैच की एकमात्र महिला थीं। 2017 में, उन्होंने उन्नत पर्वतारोहण प्रशिक्षण पूरा किया और सीआईएसएफ की पहली कर्मी बनीं। उनकी पहली बड़ी उपलब्धि 2019 में आई, जब उन्होंने उत्तराखंड के माउंट सतोपंथ (7,075 मीटर) और नेपाल के माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर चढ़ाई की, जिससे वह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की पहली महिला पर्वतारोही बनीं।
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2021 में, एक नियोजित एवरेस्ट अभियान तकनीकी कारणों से रद्द हो गया, लेकिन गीता ने हार नहीं मानी। उन्होंने सात महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों को फतह करने का लक्ष्य रखा, जिसे ‘सेवन समिट्स’ चैलेंज के रूप में जाना जाता है। 2021 और 2022 के बीच, उन्होंने छह महीने 27 दिनों में चार चोटियों पर चढ़ाई पूरी की:
- माउंट कोसियस्ज़को (2,228 मीटर, ऑस्ट्रेलिया)
- माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर, रूस)
- माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर, तंजानिया)
- माउंट एकॉनकागुआ (6,961 मीटर, अर्जेंटीना)
यह उपलब्धि उन्हें सबसे तेज भारतीय महिला बनाती है। इसके अलावा, उन्होंने लद्दाख के रूपशु क्षेत्र में तीन दिनों में पांच चोटियों पर चढ़ाई की, जिनमें तीन 6,000 मीटर से अधिक और दो 5,000 मीटर से अधिक थीं।
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माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई
19 मई, 2025 को, गीता ने माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचकर तिरंगा फहराया। यह उनकी तीसरी कोशिश थी, क्योंकि इससे पहले दो बार तूफानों ने उनकी चढ़ाई को रोका था। उनकी इस उपलब्धि को सीआईएसएफ के 56 साल के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे न केवल व्यक्तिगत जीत, बल्कि भारत की वर्दीधारी सेवाओं में महिलाओं की भूमिका के विकास का प्रतीक बताया।
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गीता ने अपनी उपलब्धि पर कहा, “पहाड़ एक महान समतलक हैं। वे आपके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करते। केवल वही लोग जो उस विशेष गुण के साथ हैं, उन ऊंचाइयों को जीत सकते हैं।” यह बयान उनके दृढ़ संकल्प और जुनून को दर्शाता है।
पुरस्कार और मान्यता
गीता की उपलब्धियों को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:
- दिल्ली महिला आयोग का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार 2023
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय का गिविंग विंग्स टू ड्रीम्स अवार्ड 2023
सीआईएसएफ के महानिदेशक ने उनकी उपलब्धि पर बधाई दी और उन्हें भारत की युवा पीढ़ी, विशेष रूप से लड़कियों के लिए प्रेरणा बताया।
प्रभाव और प्रेरणा
गीता की इस उपलब्धि ने विशेष रूप से वर्दीधारी सेवाओं में महिलाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया है। सीआईएसएफ ने उनकी सफलता से प्रेरित होकर 2026 में माउंट एवरेस्ट के लिए एक समर्पित पर्वतारोहण दल भेजने की योजना बनाई है। सीआईएसएफ यूनिट आईओसी मथुरा के इकाई प्रभारी डॉ. नीरज भारती, उप-कमांडेंट, ने कहा, “माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली गीता समोटा सीआईएसएफ की पहली महिला हैं, जिन्होंने इतिहास रच दिया। उनकी उपलब्धि नारी शक्ति को सशक्तिकरण की दिशा में बल देती है और अन्य कर्मियों के लिए प्रेरणास्रोत है।”
भविष्य की योजनाएं
गीता का अगला लक्ष्य ‘सेवन समिट्स’ चैलेंज को पूरा करना है, जिसमें शेष तीन महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों पर चढ़ाई शामिल है। उनकी कहानी मेहनत, दृढ़ता और जुनून का प्रतीक है, जो यह साबित करती है कि सही इरादे और समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
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गीता समोटा की माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत की महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है। उनकी यात्रा, एक छोटे से गांव से दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर तक, यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।