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Chhindwara news; जगह के लिए दर-दर भटकते रंगकर्मी: छिंदवाड़ा में ऑडिटोरियम की कमी बनी चुनौती

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अतुल्य भारत चेतना
हर्षा बनोदे

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले का रंगकर्म देशभर में अपनी अनूठी पहचान रखता है। नाट्यगंगा संस्था ने पिछले 25 वर्षों से अपने अथक प्रयासों से छिंदवाड़ा के रंगकर्म को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा संस्था को रंगमंडल की उपाधि से सम्मानित किया गया है, जो इस क्षेत्र में एकमात्र उपलब्धि है। इसके बावजूद, नाट्यगंगा के कलाकारों को अपने कार्यक्रमों और प्रशिक्षण कार्यशालाओं के लिए स्थान ढूंढने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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कार्यशाला और स्थान की समस्या
नाट्यगंगा प्रतिवर्ष 45 दिवसीय अभिनय कार्यशाला आयोजित करती है, जिसमें नए कलाकारों को प्रशिक्षित किया जाता है। इस वर्ष 154 प्रतिभागियों ने ऑडिशन दिए, जिनमें से 50 चयनित हुए। कार्यशाला पहले हिन्दी प्रचारिणी समिति के प्रांगण में आयोजित की जाती थी, लेकिन इस वर्ष वहां निर्माण कार्य के कारण स्थान उपलब्ध नहीं हुआ। महापौर विक्रम अहके के सहयोग से एमएलबी स्कूल का प्रांगण प्राप्त हुआ, लेकिन 22 मई को सूचना मिली कि स्कूल में परीक्षा शुरू होने के कारण कार्यशाला को दूसरी जगह स्थानांतरित करना होगा। स्थान की कमी ने कार्यशाला के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

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रंगकर्म का प्रभाव
नाट्यगंगा की कार्यशालाओं से प्रशिक्षित कलाकार रंगमंच, फिल्मों, टीवी, और वेब सीरीज में छिंदवाड़ा का नाम रोशन कर रहे हैं। संस्था का मानना है कि एक सर्वसुविधायुक्त ऑडिटोरियम की कमी के कारण न केवल नाट्यगंगा, बल्कि साहित्य, संगीत, और नृत्य से जुड़ी अन्य संस्थाएं भी परेशानियों का सामना करती हैं।

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मांग
नाट्यगंगा ने प्रशासन और सरकार से छिंदवाड़ा में एक आधुनिक ऑडिटोरियम के निर्माण की मांग की है, जो सभी सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक स्थायी मंच प्रदान करेगा।

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छिंदवाड़ा का रंगकर्म अपनी उपलब्धियों के बावजूद बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। एक समर्पित ऑडिटोरियम की स्थापना से न केवल रंगकर्मियों की समस्याएं हल होंगी, बल्कि छिंदवाड़ा सांस्कृतिक केंद्र के रूप में और सशक्त होगा।

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