अतुल्य भारत चेतना
रईस
रूपईडीहा/बहराइच। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ के दो मुनियों, मुनिराज विशुद्ध रत्नसागर जी और मुनिराज समकित रत्न सागर जी, ने पैदल यात्रा कर कैलाश मानसरोवर के दर्शन और साधना पूरी करने के बाद सोमवार सुबह रूपईडीहा सीमा के रास्ते भारत वापस लौटे। ये मुनि आचार्य नवरत्न सागर जी महाराज के अंतिम शिष्य हैं, जिन्होंने नेपाल के रास्ते कैलाश मानसरोवर तक की कठिन यात्रा पूरी की।

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रूपईडीहा के प्रतिष्ठित कपड़ा व्यापारी सुभाष चंद्र जैन ने बताया कि दोनों मुनियों ने कुछ दिन पहले नेपाल के लिमी क्षेत्र में कैलाश मानसरोवर के दर्शन और साधना के लिए प्रवेश किया था। उनकी यह यात्रा नेपाल के सिमिकोट (हुम्ला), सुर्खेत, और नेपालगंज के रास्ते हुई। सोमवार सुबह 5 बजे दोनों मुनि रूपईडीहा सीमा पर पहुंचे, जहां सुभाष चंद्र जैन (ए टू जेड अंकल) और आचार्य दयाशंकर शुक्ल ने उनका भव्य स्वागत किया।

स्वागत के बाद दोनों मुनि बहराइच के रास्ते श्रावस्ती के लिए रवाना हो गए, जो ऋषियों और मुनियों की तपोस्थली के रूप में जानी जाती है। सुभाष चंद्र जैन ने बताया कि श्रावस्ती के बाद मुनि चातुर्मास के लिए कानपुर की ओर प्रस्थान करेंगे। इस पैदल यात्रा का महत्व जैन समुदाय के लिए विशेष है, क्योंकि यह सादगी, तपस्या, और आध्यात्मिक समर्पण का प्रतीक है।
स्थानीय समुदाय ने मुनियों के इस कठिन और प्रेरणादायी यात्रा की सराहना की। उनकी वापसी पर रूपईडीहा में हुए स्वागत ने क्षेत्र में आध्यात्मिक उत्साह का संचार किया।