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Shri Ram Navami राम नवमी के बारे में खास जानकारी एवं श्री राम जन्म स्तुति, मंत्र

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श्री राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के आदर्श जीवन, धर्म, मर्यादा और सत्य के प्रतीक के रूप में उनकी महिमा का उत्सव है।

श्री राम नवमी का महत्व

श्री राम नवमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार, श्री राम के जन्म का उत्सव है, जो त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौसल्या के पुत्र के रूप में अवतरित हुए थे। रामायण के अनुसार, श्री राम का जन्म राक्षस राज रावण के अत्याचारों को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं, रामायण का पाठ करते हैं और भक्ति भजनों के साथ श्री राम की महिमा का गुणगान करते हैं।

श्री राम नवमी की परंपराएँ

  1. उपवास और पूजा: भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत रखते हैं। मंदिरों या घरों में श्री राम की मूर्ति को सजाया जाता है और फूल, धूप, दीप व प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  2. रामायण पाठ: कई स्थानों पर रामचरितमानस या वाल्मीकि रामायण का पाठ आयोजित किया जाता है।
  3. शोभायात्रा: अयोध्या सहित कई शहरों में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की झांकियों के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है।
  4. राम तरंगिणी और भजन: भक्ति संगीत और कीर्तन के माध्यम से भक्त श्री राम की भक्ति में लीन होते हैं।

श्री राम जन्म समय

रामायण के अनुसार, भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को मध्याह्न (दोपहर 12 बजे) के समय हुआ था, जब पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न उदयमान था। इस समय को अत्यंत शुभ माना जाता है।


भए प्रगट कृपाला दीन दयाला
रामचरितमानस श्री राम स्तुति

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी ॥

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता ॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता ॥

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै ॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा ॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा ॥

दोहा:
बिप्र धेनु सुर संत हित,
लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु,
माया गुन गो पार ॥

  • गोस्वामी तुलसीदास जी रचित, श्री रामचरित मानस, बालकाण्ड-192

श्री राम के मंत्र

श्री राम की पूजा और ध्यान के लिए कई मंत्र प्रचलित हैं। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए जा रहे हैं:

  1. राम मंत्र (बीज मंत्र):
    • ॐ श्री रामाय नमः
      (Om Shri Ramaya Namah)
  2. राम तारक मंत्र:
    • श्री राम तारक मंत्र जप
      श्री राम, राम, रामेति रमे रामे मनोरमे।
      सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।

  3. राम गायत्री मंत्र:
    • ॐ दाशरथये विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामः प्रचोदयात्।
  4. संकट मोचन मंत्र:
    • ॐ श्री रामचंद्राय नमः

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श्री राम नवमी का संदेश

श्री राम नवमी केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि जीवन में मर्यादा, कर्तव्य और सत्य के पालन का संदेश देती है। श्री राम का जीवन “मर्यादा पुरुषोत्तम” के रूप में एक आदर्श प्रस्तुत करता है, जो हमें सिखाता है कि विपत्तियों में भी धैर्य और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥

भारत के प्राण, मानवता के आदर्श, धर्म के सर्वोत्तम स्वरूप, हमारे आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के पावन अवतरण दिवस ‘श्री राम नवमी’ की समस्त रामभक्तों एवं प्रदेश वासियों को मंगलमय शुभकामनाएं!

भारत की आस्था, मर्यादा और दर्शन में राम हैं। राम भारत की ‘अनेकता में एकता’ के सूत्र हैं। जन-जन की आस्था के केंद्र प्रभु श्री राम की कृपा चराचर जगत पर बनी रहे। सबका कल्याण हो, यही प्रार्थना है।

श्री राम नवमी का यह पावन पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की शिक्षाओं और आदर्शों को अपने व्यक्तित्व में उतारने के लिए संकल्पित होने का एक अवसर है।

करुणानिधान प्रभु श्री राम की जय!

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