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छत्तीसगढ़ के प्रथम राजधानी तुमान का किया भ्रमण

By News Desk Mar 24, 2025
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बच्चों को कलचुरी वंश के इतिहास का पाठ पढ़ाया जाए – श्यामलाल जायसवाल मंत्री

अतुल्य भारत चेतना
शिवशंकर जायसवाल

कटघोरा/कोरबा। कलचुरी कालीन इतिहास पुरातत्व शोध संगोष्ठी एवं बौद्धिक परिचर्चा सम्मेलन के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ के प्रथम राजधानी तुमान भ्रमण के लिए मा. श्यामलाल जायसवाल स्वास्थ्य विभाग के मंत्री के साथ सैकड़ो सामाजिक बुद्धजीवी वर्ग के लोग भी उपस्थित रहे हजारों साल पुराना मंदिर तालाब व अवशेष का अवलोकन भी किया। हमारे पूर्वजों ने लगभग 1200 वर्षों तक छत्तीसगढ़ के 36 राज्य में राज किए।
उस समय छत्तीसगढ़ की प्रथम राजधानी तुमान हुआ करती थी। शिकार करने के लिए रतनपुर गए और वही बस गए। कुछ वर्ष बाद रतनपुर को राजधानी बना दिया गया। जहां-जहां हमारे पूर्वज के राजा रहे वहां वहां देवी, इष्ट देव के रूप में शंकर भगवान का मंदिर स्थापित किया गया जैसे तूमान, चैतुरगढ़, पाली, चित्तौड़गढ़ जांजगीर, मल्हार, शिवरीनारायण, देरानी जेठानी मंदिर एवं अन्य स्थानों के मंदिर।


तूमान भ्रमण के दौरान श्यामलाल जायसवाल स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ मे हरियाली होना, चीज का विकसित होना है। लंबे समय से सफर में रहा है, लगभग 800 वर्षों से 1000 वर्ष तक कल्चुरि राज्य की रही। कल्चुरी का गूगल में कुछ बातों की जानकारी है बाकी अधिकांस जानकारी गूगल में नहीं है। और नाहीं बुक में बच्चों को पढ़ाया जाता है। देश के लोग इतिहास व कलचुरी वंशज की जानकारी रखने वाले होते हैं। कलचुरी के इतिहास पूरे देश में अध्यापन करवानी चाहिए। छत्तीसगढ़ में आठवीं शताब्दी से 1852 तक हमारे पूर्वज राज किये।
तूफान में 21 भव्य शिव मंदिर, ज्योतिर्लिंग भगवान का मंदिर स्थापित है जो किया खंडहर हो चुका है। तालाबों में मंदिरों का अवशेष, देवियों का अवशेष मूर्तियां पड़ी हुई है। हजारों साल पहले पुराना तालाब जो की थोड़ी गहराई तक मंदिरों का अवशेष भी मिलता है। नदी में महल के अवशेष देखने को मिला। कल्चुरी का प्रथम राजधानी तूमांन हुआ करती थी।
संग्रहालय बनवाने के लिए कोशिश की जाएगी कॉरिडोर के बारे में भी कहा कि हम लोग का प्रयत्न करेंगे, कि कॉरिडोर बन जाए। छत्तीसगढ़ में कल्चुटियों का स्वर्णिम योगदान रहा। छोटी-छोटी जगह में ग्राम देवता देखने को मिले। मंदिर से सड़क तक पहुंच मार्ग बनवाने की बात कही संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर देखने को मिला। कार्यक्रम संयोजक
कोतेय जायसवाल जी ने कलचुरी वंशज के इतिहास के बारे में विस्तार से लोगों को जानकारी दिये। दो दिवसी कार्यक्रम कटघोरा में आयोजित किया गया इसमें सभी प्रदेशों से आए हुए बुद्धिजीवी वर्ग को जानकारी दिया कि हमारे वंशजों ने छत्तीसगढ़ के हजारों साल राज्य किये और सच्ची इतिहास को छुपाया गया, बच्चों को इसकी जानकारी बुक के माध्यम से दी जानी चाहिए, ताकि भावी पीढ़ी को पूरी जानकारी हो सके।
हर प्रसाद एवं पवन सिंह तुमान निवासी ने तुमान की सभी तालाबों, मंदिरों एवं अवशेषों के बारे में विस्तार से लोगों को जानकारी दिया गया एवं उन्होंने जानकारी में बताया कि तुमान के कई घरों में मंदिरों के अवशेष पड़े हुए हैं जो की संजोकर रखे हैं। मुंबई से आए कलाकार मुकेश चौकसे ने भी कहा कि हम छत्तीसगढ़ के कलचुरी वंशज के बारे में बहुत दिनों से शोध कर रहे हैं, 2 वर्षों के अंदर पिक्चर बनाएंगे और लोगों को हकीकत जानकारी देंगे कि हमारे पूर्वजों ने कितने वर्षों से राज्य किया और कहां-कहां पुराना मंदिर है और तालाब है, इसकी जानकारी छत्तीसगढ़ का पूरे भारत देश में जानेंगे। इसके लिए कलाकार भी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी दी जावेगी। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश यूपी, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, महाराष्ट्र के बॉलीवुड के कलाकार केअलावा अन्य राज्य से बौद्धिक परिचर्चा में शामिल होने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग के लोग उपस्थित रहे। सुरेंद्र प्रताप जायसवाल, शकुंतला जायसवाल, राकेश जायसवाल, अशोक जायसवाल, राजेंद्र जायसवाल पत्रकार, गायत्री जायसवाल, सत्या जायसवाल, राजेंद्र जायसवाल, पवन जायसवाल, शिवशंकर जायसवाल, दीपक जायसवाल, बृजमोहन डिक्सेना, शशिकांत, देवलाल रामगोपाल, नंदू जायसवाल, प्रशांत जायसवाल, ओमप्रकाश, संजय जयसवाल, रश्मि जायसवाल, किरण जयसवाल , पंकज जायसवाल, डॉ सुनील जायसवाल, शिव जायसवाल, संध्या जायसवाल, सूरज जायसवाल, रमेश सोनवानी, तुलसी प्रसाद पहलाद, कामता जायसवाल, रोमन जायसवाल, संगीता, पल्लवी जायसवाल, रूबी जायसवाल, पुष्पा जयसवाल माधुरी जायसवाल रश्मि कौशिक, कंचन जायसवाल भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन विनोद कुमार प्रो. बनारस विश्वविद्यालय एवं आभार व्यक्त कोटेय जायसवाल ने किया।

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