माह-ए-रमजान रहमत व बरकत की बारिश का ऐसा महीना है, जिसमें हर तरफ इबादत का सिलसिला चलता है
अतुल्य भारत चेतना
संवाददाता
रहमतों व बरकतों के पाक महीने माह-ए-रमजान (Maah-E-Ramzaan) में मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत तिलावत एवं नमाज में मशगूल हैं। देश भर के मुस्लिम बाहुल्य मुहल्लों में अकीदतमंदों की देर रात तक चहल पहल रहती है। वही कई मोहल्ले को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। पहला रोजा की पूर्व संध्या से ही सेहरी की तैयारी कर ईशा की नमाज के बाद देर रात तक पढ़ी जाने वाली माह-ए-रमजान (Maah-E-Ramzaan) का खास नमाज तरावीह की नमाज पढ़ने में मस्जिदों में भीड़ उमड़ रही है। रमजान शुरू होते ही अकीदतमंद रोजा, नमाज कुरान शरीफ की तिलावत में मशगूल हो गए हैं।

माह-ए-रमजान आने से मुस्लिम समुदाय के मोहल्लों में उत्साह व उमंग देखा जा रहा है। अतुल्य भारत चेतना एबीसी न्यूज नेटवर्क के प्रसार संयोजक फरमान अली ने बताया कि माह-ए-रमजान रहमत व बरकत की बारिश का ऐसा महीना है, जिसमें हर तरफ इबादत का सिलसिला चलता है। रमजान-उल-मुबारक का महीना मुसलमानों के लिए सबसे अफजल महीना माना गया है। इस्लाम को मानने वाले इस माह के तीस दिनों तक रोजा रखकर खुदा की बारगाह में सजदा करते हैं और अपनी गुनाहों की माफी मांगते है।

अतुल्य भारत चेतना जिला संवाददाता बहराइच रईस अहमद ने कहा कि रमजान माह में जहां सभी शैतान को कैद कर लिया जाता है। वहीं जन्नत के तमाम दरवाजे खोल दिए जाते हैं। माह-ए-रमजान को लेकर बच्चों के अलावा सभी आयु वर्ग में खासा उत्साह देखा जा रहा है। मान्यता है कि रमजान के मुकद्दश महीने के दिन और रात को बेसकिमती माना गया है। रमजान माह में अल्लाह अपने बंदों पर रहमत नाजील करतें है। उन्होंने आगे कहा कि रोजा के दौरान हम अपने आमाल का जायजा लें और गलतियों पर निगाह डालें ताकी आने वाले दिनों में फिर से गलती न दुहरायी जाए। माह-ए-रमजान (Maah-E-Ramzaan) में रमजान (Ramjaan) का पुरा-पुरा हक अदा करते हुए अल्लाह से अपनी गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा रोजा इस्लाम की पांच रत्नों में से एक है। इस्लाम धर्म (Islam Dharm) में पांच बुनियादी चीजें तौहीद, नमाज, रोजा, जकात व हज है। रोजा फजल-ए -खुदाबंदी का हक अदा करती है। हदीश में कहा गया है कि इस माह में बंदो द्वारा एक नेकी का 70 नेकियों के बराबर सबाब मिलता है।

