Breaking
Sat. Jul 26th, 2025

उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस लखनऊ में “ट्रेनर्स आफ ट्रेनिज” के प्रथम बैच का प्रशिक्षण प्रारंभ

By News Desk Dec 24, 2024
Spread the love

फेयर ट्रायल तभी संभव है जब विवेचक की विवेचना साक्ष्य आधारित होगी: डॉ जी.के.गोस्वामी

अतुल्य भारत चेतना
संवाददाता

लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस, लखनऊ मे जुलाई 2024 से लागू नये आपराधिक कानूनों के आलोक में एक सप्ताह का कैप्सूल कोर्स का शुभारम्भ किया गया। जिसमें प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 40 निरीक्षक/उपनिरीक्षकों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण सत्र का शुभारम्भ पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण श्रीमती तिलोत्तमा वर्मा ने किया। फतेपुर ,बुलन्दशहर, बलिया, बरेली, गौतमबुद्वनगर, अलीगढ, आगरा, कौशाम्बी, मेरठ, कासगंज, जौनपुर, गोण्डा, पीलीभीत, वाराणसी, प्रतापगढ, बागपत, आजमगढ, अमरोहा तथा कानपुर नगर सहित पीटीएस मेरठ मिर्जापुर, गोरखपुर के निरीक्षक एवं उपनिरीक्षकों ने भाग लिया है।

इस अवसर पर महानिदेशक प्रशिक्षण तिलोत्तमा वर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी के लिए यह एक अनोखा मौका है, सीखने के लिए उम्र की सीमा नहीं होती है, आदमी किसी भी उम्र में सीख सकता है। जिस प्रशिक्षण हेतु हम यहां आये है इस कोर्स को यूपीएसआईएफएस के अधिकारीगण एवं फेकल्टी ने हमारी नवीन उपयोगिता के दृष्टिगत डिजायन किया है। उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारे आज इस सीखने के पीछे वो बहुत सारे एसे इंसान है जिन्हें हमे न्याय दिलाने का कार्य करना है।
संस्थान के अपर पुलिस महानिदेशक/संस्थापक निदेशक डॉ जी.के.गोस्वामी ने प्रथम बैच के प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आप बेहतर ढंग से प्रशिक्षित होगें तो निश्चित रूप से सरकार का उदेद्श्य पूर्ण होगा। और यहां से कुछ सीख कर जायेंगे तभी आपके आने की यहां सार्थकता भी होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 173 के तहत ऐसे अपराध जिनमें सात साल से अधिक की सजा निर्धारित है उनमें फारेंसिक विशेषज्ञ का घटना स्थल पर विजिट अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि कई बार कोर्ट द्वारा साक्ष्य संकलन और प्रकिया में नियमों की लापरवाही नाराजगी जताया जाता है यह हमारे प्रशिक्षण और दक्षता की कमियों को दर्शाता है।
डॉ गोस्वामी ने कानून के प्रमुख तीन अवयव ‘‘जे. आर. तथा एफ.’’ पर प्रकाश डालते हुए प्रशिक्षणार्थियों को समझाया कि ‘‘जेआरएफ’’ का अर्थ है जस्टिस, रिजनेबल एवं फेयरनेस के बिना न्याय की परिकल्पना अधूरी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि फेयर ट्रायल तभी संभव है जब विवेचक की विवेचना साक्ष्य आधारित होगी। जितना दोषी को दण्ड दिलाना महत्वपूर्ण है उतना ही हमारी निर्दोष को बचाने की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। पुलिस का कार्य देवत्व का कार्य है क्योंकि हम अपराध को मिटाने के लिए बने हैं।
इस अवसर पर संस्थान के अपर निदेशक श्री राजीव मल्होत्रा ने कहा कि किसी भी प्रशिक्षण का पहला कार्य रिफ्रेश करना, दूसरा हमें अपडेट करना और तीसरा हमारी कार्य दक्षता को बढाता होता है और हमारा प्रयास है कि आप सभी प्रशिक्षणार्थी इस संस्थान द्वारा वर्तमान परिवेश के दृष्टिगत एक सप्ताह हेतु डिजायन कैप्सूल कोर्स का भरपूर लाभ प्राप्त करें और जनपदों में जाकर थाने स्तर पर भी अन्य पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित करें। इस कोर्स के व्याख्यान हेतु विषय विशेषज्ञ के रूप में पूर्व निदेशक सीएफएसएल हैदराबाद श्री केएम वाष्णेय एवं डीपी गंगवार को भी आमंत्रित किया गया है।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ जीके गोस्वामी ने महानिदेशक प्रशिक्षण श्रीमती तिलोत्तमा वर्मा को पुष्प-पौध देकर सम्मानित किया। प्रशिक्षण सत्र में प्रशासनिक अधिकारी श्री अतुल यादव, फेकल्टी एसपी राय, डॉ अरुण खत्री, श्री विवेक यादव, डॉ सौरभ यादव ,डॉ नतासा, डॉ अजीत कुमार, डॉ श्री अभिषेक दीक्षित, एआर डॉ श्रुति दासगुप्ता, डॉ कार्तिकेय, जनसंपर्क अधिकारी श्री संतोष तिवारी, प्रतिसार निरीक्षक श्री बृजेश सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।

Responsive Ad Your Ad Alt Text
Responsive Ad Your Ad Alt Text

Related Post

Responsive Ad Your Ad Alt Text