सुबह हिरन को दौड़ाता दिखा बाघ, बाघ एवं तेंदुओं की संख्या में हुई बढ़ोतरी
अतुल्य भारत चेतना
रईस
बहराइच। कतर्नियाघाट नवम्बर माह में कतर्निया प्रभाग के द्वार पर्यटको हेतु खोल दिए गए हैं। पर्यटन सत्र शुरू होते ही देसी और विदेशी पर्यटकों का कतर्निया आना शुरू हो गया है। जंगल घूमने आने वाले पर्यटकों की पहली इच्छा जंगल के राजा बाघ को देखने की होती है लेकिन जंगल में बाघ का दर्शन करना काफी दुर्लभ होता है। इस बार पर्यटको के लिए सबसे अच्छी खबर यह है कि जंगल सफारी के दौरान उन्हें आसानी से जंगल के राजा के दर्शन हो रहे है। पर्यटन सत्र शुरू हुये अभी मात्र तीन सप्ताह ही हुए हैं कि इस बीच पर्यटक कई बार बाघ का दर्शन कर चुके हैं। कर्तनियाघाट इको टूरिज्म सेंटर के मुख्य द्वार पर तैनात वन निगम के नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सोमवार को जंगल भ्रमण पर आये कई पर्यटकों को सुबह-सुबह ही कर्तनिया रेंज के मुख्य द्वार पर बाघ एक हिरन को दौड़ाता दिखाई दिया। बाघ को अपने शिकार की तरफ दौड़ते देख पर्यटक काफी रोमांचित हुए। इसके बाद शाम को वन निगम की गाड़ी पर जंगल सफारी कर रहे लखनऊ, लखीमपुर एवं दिल्ली के पर्यटकों को जंगल के राजा बाघ को जंगल में टहलते देखने का अवसर प्राप्त हुआ। लखनऊ के सेवानिवृत इंजीनियर जियाउलहक उर्फ गुड्डू, दिल्ली के पर्यटक आतिफ एवं निदा लखीमपुर के पर्यटक संस्कार अग्रवाल एवं सौम्या अग्रवाल ने बताया कि बाघ को देखना एक रोमांचकारी अनुभूति रही। कतरनिया के जंगलों की खूबसूरती देख हम लोग काफी उत्साहित हैं। कर्तनिया इको टूरिज्म के अनुभाग अधिकारी अक्षत सिंह ने बताया कि कतरनिया प्रभाग के घने जंगल बाघों को अपने वास स्थल हेतु अधिक प्रभावित करते हैं यही कारण है कि वर्तमान समय में यहां के जंगलों में बाघों की संख्या 59 के करीब है। बाघों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण ही पर्यटकों को सफारी के दौरान आयदिन बाघ दिख रहे है उन्होंने बताया कि वन निगम की ओर से पर्यटकों को बोटिंग भी कराई जाती है डॉल्फिन, मगरमच्छ कछुआ एवं नदी के तट पर पानी पीने आए हाथियों के झुंड को भी देखा जा सकता है।