अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी
मुजफ्फरनगर। हिन्दी उर्दू साहित्य को समर्पित संस्था समर्पण की साहित्यिक काव्य गोष्ठी अम्बा विहार में संयोजक मुस्तफ़ा कमाल के निवास पर सम्पन्न हु्ई। जिसकी अध्यक्षता ईश्वर दलाल गुप्ता और संचालन डाॅ आस मोहम्मद अमीन ने किया मुख्य अतिथि डाॅ सदाक़त देवबंदी और मुख्य वक्ता महबूब आलम एडवोकेट रहे!
समर्पण सचिव सुनीता मलिक सोलंकी ने शायरों व कवियों का परिचय देते हुए स्वागत किया।
अब्दुल हक़ सहर ने नाते पाक व
सुनीता सोलंकी द्वारा सरस्वती वंदना पढ़ी गई।
प्रसिद्ध शायरअब्दुल हक़ सहर का शे’र
“सितम परस्त जिधर जा रहे हैं जाने दो
उधर क़दम न बढ़ाओ बहुत अँधेरा है “
योगेन्द्र सोम-
“अजब है जिंदगी अजब हैं रास्ते
लम्हों पे मर मिटे हम सदियों के वास्ते “
डाॅ सदाकत
देवबंदी –
“मानिंद असीरों के हैं अब हम तो सदाक़त
हालाँकि किसी ‘पा’ मे भी जंज़ीर नहीं मिलती”
सलामत राही का शे’र-
” हम हर इक महफ़िल में जाकर बोलते हैं बेख़बर
शायरी करते हैं ऐसी जिसका हो दिल पे असर”
डा आस मुहम्मद अमीन-
“शौक़ से हम सर अपने तो कटा लेंगे मगर
ज़ालिमों के सामने सर को झुका सकते नहीं”
संतोष शर्मा फ़लक-
“ऐसा नहीं कि सारी ही दुनिया खराब हो
कभी कभी खुद को भी शीशे में देखिए”
सुनीता सोलंकी ‘मीना’ की गज़ल का शे’र
“मौन की मुस्कान का इक राज़ हो तुम!
और सारे अनकहे अल्फाज़ हो तुम”



महबूब आलम एडवोकेट ने दिल की गहराई से बज्म में आए सभी को मुबारक बाद देते हुए अपनी दिल की बात कही कि- उर्दू हिन्दी को सगी बहन बताया । भारतीय समाज में फैली आज की स्थिति पर अफसोस जाहिर किया और कहा कि – यह कोई राजनीति मंच नहीं यहाँ हर कोई अपने दिल की बात करता है।
आयोजक मुस्तफा कमाल –
अबरे करम वो साथ में लाए हैं मुस्तफ़ा
खुशबू बता रही है के आए है मुस्तफ़ा
मास्टर शहजाद ने चमन में अमन की चाह के लिए अपना खूबसूरत और जज्बाती वक्तव्य दिया ।
कलीम त्यागी जी ने संस्था को यथासंभव सहयोग के लिए आश्वासन दिया
सलीम जावेद कैरानवी ने एक से बढ़कर एक गज़
लें सुनाई।
योगेश सक्सेना की पंक्तियाँ
“लोग भूल जाते है खुशियों के बाद
भूल जाते है नये दोस्त मिलने के बाद”
देवेन्द्र सिंह द्वारा जीवन दर्शन कुछ इस तरह –
“जीवन रूपी गाड़ी को मैं खींच खींच गया हार सखे।
बिन बीवी के लगता है मुझको सूना संसार सखे।।
समर्पण अध्यक्ष श्री ईश्वर दयाल गुप्ता जी द्वारा गोष्ठीय समापन पर सुंदर संदेश दिया और एक कविता पढी –
“रोई तो रोई माँ क्यूँ रोई
रोई तो रोई बेटी क्यों रोई”
और सभी शायरों व कवियों द्वारा गोष्ठी सफल हुई सभी का दिल से धन्यवाद !
सचिव- सुनीता सोलंकी ‘मीना’