मदनटेर से बड़ा रासमण्डल तक निकली चाव सवारी
अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
वृन्दावन/मथुरा। धर्म नगरी वृन्दावन धाम में कार्तिक सुधि तेरस के दिन वृन्दावन धाम का 517 वां प्राकट्योत्सव (वृन्दावन महोत्सव) के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। राधावल्लभजी मंदिर चल रहे 6 दिवसीय वृन्दावन महोत्सव में दूर-दराज से आए कलाकारों ने मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुतियाँ देकर राधावल्लभ लाल को रिझाया। वृन्दावन महोत्सव के बारे में जानकारी देते हुए राधावल्लभ मंदिर के तिलकायत अधिकारी मोहित मराल गोस्वामी महाराज ने बताया कि कार्तिक सुधि तेरस को वंशी अवतार श्रीहित हरिवंश चन्द्र महाप्रभु राधावल्लभ लाल को लेकर वृन्दावन धाम में पहली बार आए थे, जिन्हें सर्वप्रथम मदनटेर (ऊंचीठौर) पर लता-पताओं में वट वृक्ष की छाँव में विराजमान किया था। वृन्दावन का वर्णन उससे पहले लेख-ग्रंथों मिलता था, लेकिन वृन्दावन में घनघोर जंगल की वजह से लोग आने में भी घबराते थे। हरिवंश महाप्रभु ने राधावल्लभ लाल को वृन्दावन में विराजमान कर यहां की शोभा बढ़ाई। तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है। इसी उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष गाजे-बाजे के साथ मदनटेर से लेकर बड़ा रासमण्डल तक राधावल्लभ लाल के चित्रपट को घोड़ा-बग्गी में सवार करके चाव सवारी वृन्दावन के परिक्रमा मार्ग होकर निकाली गई। चाव सवारी का जगह-जगह पर ब्रजवासियों एवं नगरवासियों द्वारा पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया एवं वृन्दावन परिक्रमा मार्ग में चहुंओर राधावल्लभ श्री हरिवंश नाम धुनी के मध्य भक्तों ने भी जमकर नृत्य किया। चाव सवारी में शामिल सभी भक्तों ने बड़ा रासमण्डल पहुंचने पर भंडारा प्रसादी ग्रहण की। चाव सवारी राधावल्लभ मंदिर के तिलकायत अधिकारी मोहित मराल गोस्वामी महाराज के पावन सानिध्य में मदनटेर से बड़ा रासमण्डल तक निकाली गई, जिसमें मुख्य रूप से श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज, सुकृत लाल गोस्वामी, गोविन्द लाल गोस्वामी, शोभित लाल गोस्वामी (युवराज), उदित गोस्वामी सहित राधावल्लभ मंदिर के सेवायत परिवार एवं सैकड़ो की संख्या में भक्तजन मुख्य रूप से मौजूद रहे।