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दुआएं कमाना ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है: ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी

By News Desk Jan 16, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
पूरन सिंह रघुवंशी

गुलाबगंज/विदिशा। मानव कल्याण सेवा समिति द्वारा 12वीं वर्षगांठ पर गुलाबगंज में कार्यक्रम आयोजित किया गया राकेश कटारी जी ने सभी आए हुए अतिथियों का वाणी से साल श्रीफल मोमेंटो देकर सम्मान किया। जिसमें बालकृष्ण बटुक महाराज जी ने भी अपने विचार रखे, ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम जो भी कार्य करते हैं उसका यही लक्ष्य लेकर चलते हैं कि हमारे जीवन में सुख, शांति, खुशी हो, दुनिया में कहावत है कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। लेकिन हम कहते हैं कुछ पाने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। गरीबों को भोजन करना 12 वर्षों से निर्भिन्न चल रहा है आपका पुनीत कार्य ने दुआओं का खाता खोला है जीवन में दुआएं कमाने से बढ़कर दुनिया में कोई कमाई नहीं है। जीवन में दवाई कमाना ही सबसे बड़ी पूंजी है, साथ-साथ तन, मन की पवित्रता हमारे लिए अति आवश्यक है तन पवित्र रखना है तो हमें भोजन की शुद्धता रखना जरूरी है साथ ही इन आंखों से बुरा ना देखना कानों से बुरा ना सुनना, हम बुरे कर्म करने से बचें पर कभी बुरे रास्ते पर ना चले, मन की पवित्रता जब हम मन की पवित्रता की बात करते हैं तो पहले जानने की आवश्यकता है कि आखिर यह मन क्या है मन हमारी आत्मा की एक संपूर्ण शक्ति है जिसका कार्य है विचार करना विचार का आधार होता हमारी भावनाएं, भावना का आधार हमारी वृत्ति और वृत्ति का आधार स्मृति और स्मृति का आधार हमारी दृष्टि कहां जाता है। हम जिस रंग का चश्मा पहनते हैं वैसा ही दिखता है कहने का भाव मन की पवित्रता का आधार हमारे पवित्र विचार भावनाएं, वृत्ति, स्मृति और दृष्टि हमारा मन सुमन बनता ही तब है जब हम व्यर्थ, नकारात्मक और अशुभ विचारों से मुक्त हो। देवेंद्र भार्गव महाराज ने कहा कि परचिंतन पतन की जड़ है हमें अपने जीवन में तीन पर काटने हैं परचिंतन, परदर्शन, परमत। हमें करना है स्वचिंतन, स्वदर्शन, और ईश्वरीय मत पर चलना चाहिेए। तो इस आध्यात्मिक ज्ञान को हमें अपने जीवन में लाना चाहिए उसके लिए मेडिटेशन जरूर सीखें।

अपने जीवन को तन मन से स्वस्थ बनाए। सभी से स्नेह रखना है किसी से वैर भेदभाव नहीं रखना है। हमें वह कर्म करने हैं जिससे हमें दुआएं मिले यही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान देना है ना कि यह सोचना है कि लोग क्या कहेंगे, मुझसे नहीं होगा, मेरी किस्मत में नहीं है, मेरे पास टाइम नहीं है, मैं नहीं कर सकता यह शब्द हमारे मन को कमजोर कर देते हैं। विवेकानंद एक थे जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया।

अब्दुल कलाम गरीब परिवार से थे लेकिन भारत के राष्ट्रपति और वैज्ञानिक वन करके दिखाएं आप भी अपने आप को यूनिक समझे और अपने जीवन में कुछ विशेष करने का लक्ष्य रखें। मनोज कटारी जी ने सभी का आभार मानते हुए सभी निशक्त जनों को भोजन कराकर एवं साल श्रीफल देकर सम्मानित भी किया अधिक संख्या में लोगों ने कार्यक्रम का लाभ लिया।

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