अतुल्य भारत चेतना
रईस
रूपईडीहा/बहराइच। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित प्रमुख व्यापारिक स्थल रूपईडीहा में एकीकृत जांच चौकी (आईसीपी) व्यवस्था लागू होने से स्थानीय व्यापारियों और उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के बीच चिंता बढ़ गई है। यह आधुनिक सुविधा, जो सीमा शुल्क और आव्रजन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए बनाई गई है, सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। लेकिन इसकी जटिल और समय लेने वाली प्रक्रियाओं ने निजी वाहनों और सार्वजनिक परिवहन दोनों के लिए परेशानियां खड़ी कर दी हैं। इसके चलते दोनों पक्षों ने प्रशासन से पुराने मार्ग पर संचालन की अनुमति देने की मांग की है।
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परिवहन निगम की परेशानी
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की मैत्री बसें, जो नेपालगंज से लखनऊ और दिल्ली तक चलती हैं, आईसीपी व्यवस्था से सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। इस जांच चौकी पर जटिल प्रक्रियाओं के कारण बसों को घंटों तक रोका जा रहा है, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हो रही है और निगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। रूपईडीहा डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक राम प्रकाश ने इस समस्या के समाधान के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। उनके अनुसार, “आईसीपी पर देरी के कारण व्यापारियों की संख्या में कमी आई है, क्योंकि लोग इस परेशानी से बचने के लिए अन्य परिवहन साधनों का उपयोग कर रहे हैं। इससे निगम की आय पर गंभीर असर पड़ा है।” उन्होंने अपने पत्र में मैत्री बसों को पुराने मार्ग से संचालित करने की अनुमति देने की मांग की है ताकि समय पर और कुशल सेवा सुनिश्चित की जा सके।

व्यापारियों की चिंता
स्थानीय व्यापारियों ने भी सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के उस निर्णय पर आपत्ति जताई है, जिसमें निजी वाहनों को भी आईसीपी से होकर गुजरने का निर्देश दिया गया है। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल, रूपईडीहा-बहराइच इकाई ने एसएसबी की 42वीं वाहिनी को पत्र लिखकर अपनी चिंता व्यक्त की है। पत्र में कहा गया है कि आईसीपी की प्रक्रिया बेहद धीमी और समय लेने वाली है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने लिखा, “यह व्यवस्था सुरक्षा के लिए तो ठीक है, लेकिन यह व्यापार के सुचारू संचालन में बड़ी बाधा बन रही है। नेपाली ग्राहक, जो भारतीय बाजार में आसानी से खरीदारी के लिए आते थे, अब घंटों की देरी का सामना कर रहे हैं। यह उनके लिए परेशानी का कारण बन रहा है और हमारे कारोबार को नुकसान पहुंचा रहा है।” व्यापारियों का मानना है कि अगर यह स्थिति जारी रही तो सीमावर्ती बाजार की रौनक कम हो सकती है।
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प्रशासन से मांग
व्यापार मंडल और परिवहन निगम दोनों ने प्रशासन से एक समान मांग की है कि निजी वाहनों और निगम की बसों को पुराने मार्ग से संचालित करने की अनुमति दी जाए, साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को भी बनाए रखा जाए। दोनों पक्षों ने एक दोहरे दृष्टिकोण का सुझाव दिया है: मालवाहक और भारी वाहनों के लिए आईसीपी का उपयोग जारी रखा जाए, जबकि निजी वाहनों और बसों को आवश्यक सुरक्षा जांच के साथ पुराने मार्ग से जाने की अनुमति दी जाए। उनका मानना है कि इससे सुरक्षा और सुविधा के बीच संतुलन बना रहेगा। इससे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और सीमा व्यापार की जीवंतता भी बनी रहेगी।
रूपईडीहा का महत्व
रूपईडीहा भारत-नेपाल सीमा पर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है। यहां रोजाना सैकड़ों नेपाली ग्राहक खरीदारी के लिए आते हैं, जबकि बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक भी नेपाल की यात्रा करते हैं। दोनों देशों के बीच यह पारंपरिक आवागमन और व्यापार पुराने मार्ग पर निर्भर रहा है। इस मार्ग में किसी भी तरह का व्यवधान स्थानीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
प्रशासन का रुख
जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमें व्यापारियों और परिवहन निगम की चिंताओं की जानकारी है। हम स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और ऐसे कदम उठाएंगे जो इन समस्याओं का समाधान करें, साथ ही सुरक्षा से कोई समझौता न हो।”
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रूपईडीहा सीमा पर यह स्थिति नए सिस्टम को लागू करने की चुनौतियों को उजागर करती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां व्यापार और परिवहन की पुरानी व्यवस्था स्थापित है। आईसीपी का उद्देश्य सुरक्षा बढ़ाना था, लेकिन इसके दैनिक संचालन पर प्रभाव ने विवाद खड़ा कर दिया है। अब प्रशासन के सामने यह चुनौती है कि वह सुरक्षा आवश्यकताओं और व्यापार-परिवहन की व्यावहारिक जरूरतों के बीच संतुलन बनाए। इस स्थिति का परिणाम दोनों देशों के हितधारक करीब से देख रहे हैं।