समाज कल्याण की भावना से ओतप्रोत नगर की लाड़ली लक्ष्मी सुभिक्षा
अतुल्य भारत चेतना
उमेश शेंडे
बालाघाट। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिकाओं के अधिकारों और उनको सशक्त करने की दिशा में काम करने के लिये मनाया जाता है। वर्ष 2006 में मप्र शासन ने बालिकाओं के अधिकारों और उनके विकास के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रारम्भ की गई थी। इस योजना को 18 वर्ष हो गए है। इस योजना के साथ ही वर्ष 2006 में जन्मी बालिकाएं भी 18 वर्ष पूर्ण कर चुकी है। जिले में योजना प्रारम्भ से अब तक 137034 (सितम्बर 2024 तक) लाड़ली लक्ष्मी हो गई है। वर्ष 2006 में जन्मी 1737 बालिकाएं है। ये बालिकाएं अब कई क्षेत्र में अपनी शिक्षा पूरी कर करने के साथ ही समाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। उनमें से एक बालिका सुभिक्षा एक अलग क्षेत्र में अपनी रुचि के हिसाब समाज में नाम गढ़ने के प्रयास कर रही है।
बालिकाओं के अधिकारों और उनके विकास के लिए नगर की एक बालिका ऐसा काम कर रहीं है कि आप भी जानकर हैरत में पड़ जाएंगे। 18 वर्षीय सुभिक्षा वासनिक का कहना है कि अपने लिए जीये तो क्या जीये तू जी औरों के लिए। बीएसडब्ल्यू की छात्रा पिछले करीब 18 माह से जिले के आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी बालिकाओं में हायजेनिक मेच्युर के प्रति अलख जगा रही है। सुभिक्षा ने अब तक आदिवासी क्षेत्र बिरसा और मलाजखंड की 50 स्कूलों की 2000 हजार से अधिक बालिकाओं के पास जाकर प्रशिक्षण दिया है। बालिकाओं को माहवारी के समय में पोषण और स्वास्थ्य तथा इस सामान्य प्रक्रिया को बालिकाएं कैसे हेंडल करें। इन सब बातों पर खुलकर बात करती है। उनमें इस बात की जागरूकता पर जो दे रही हैं। जिस पर कोई बात नहीं करना चाहता है। सुभिक्षा स्कूलों में प्रशिक्षण देने के साथ ही अपने सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से भी जागरूकता का संदेश दे रहीं है।


विश मास्टर सुभी इंस्टाग्राम पर वीडियोज भी देते है संदेश
सुभिक्षा पिछले 18 माह से समाज सेवा जैसे कार्यो में रुचि रखते हुए गरीब बच्चों की शिक्षा और उनके रहन सहन में सुधार के लिए भी आगे रहकर कार्य करती है। गरीब तबके ने बच्चों के लिए गूगल पर एक एनजीओ के बारे में जानकारी मिली। एनजीओ से संपर्क किया। तो एनजीओ ने ही उनसे हेल्प मांगी। कुछ समय एनजीओ के साथ घरेलू कामकाजी महिलाओं को रोजगार देने के लिए उनके प्रशिक्षण में भूमिका निभाई। इन सब के साथ एनजीओ से राशि मिलने लगी तो सुभिक्षा ने उस राशि से गरीब तबके के बच्चों के लिए 400 हजार रुपये के कपड़े खरीदे और बांटे। सोशल मीडिया पर भी सक्रिय होकर जागरूकता के कार्य करने की इच्छा रखती है। इंस्टाग्राम पर विश मास्टर सुभी के नाम से संचालित अकाउंट पर उनके 11 हजार से अधिक फॉलोवर्स है।छोटी सी उम्र में सुभिक्षा अपने जन्मदिन को गरीब बच्चों के साथ मनाना पसन्द करती है। उन बच्चों को अपने हाथों से भोजन भी कराती है। ये सब देखकर अब परिजन और रिश्तेदार भी जन्मदिन गरीब बच्चों के साथ मनाने लगें है। वो अपनी कमाई से शर्ट्स, साड़ी और स्वेटर बांट चुकी है। साथ ही बेसहारा लाचार डॉग्स को भोजन कराने जैसे कार्य आसानी से कर लेती है।