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पितरों के खुश होने से जीवन में आती है खुशहाली : महेंद्र कुमार मिश्र

By News Desk Oct 4, 2024
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विलुप्त हो रही संस्कृति सभ्यता को संजोने सवारने की जरुरत: राजेश्वर प्रसाद दुबे

धूमधाम से मनाई गई पंडित पारस नाथ त्रिपाठी की पुण्यतिथि

अतुल्य भारत चेतना
पियूष सिंह

पट्टी/प्रतापगढ़। गोई गांव में संस्कृत वैदिक विद्वानों का हुआ संगम काशी जैसा रहा नजारा। पट्टी तहसील क्षेत्र के गोई गांव में शिक्षा मनीषी पंडित पारस नाथ त्रिपाठी के पुण्यतिथि श्रद्धांजलि समारोह धूमधाम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पद संस्कृत वैदिक विद्वान महेंद्र कुमार मिश्र एडवोकेट ने कहा कि पितरों की खुश होने से जीवन में खुशहाली आती है। और पितृ पक्ष में देवता से भी पहले पितरों की पूजा की जाती है। इस दुनिया में माता-पिता की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है। संस्कृत वैदिक विद्वान श्री मिश्र ने आगे कहा कि शिक्षा मनीषी विद्वान समाज का दर्पण होता है। वह समाज से कभी सेवानिवृत्त नहीं होता है। वह हमेशा अपने ज्ञान रूपी जल से समाज को सदैव सिंचित करने का कार्य करता है। संस्कृत विद्वान पंडित पारस नाथ त्रिपाठी जी मरणोपरांत समाज को एक नई दिशा देने का कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि राजेश्वर प्रसाद दुबे आजाद ने कहा कि संस्कृत मनीषियों विद्वानों की भाषा है। आज संस्कृत भाषा का क्षरण हो रहा है। जिसका संस्कृति पर कुप्रभाव पड़ रहा है। संस्कृत भाषा के जीवित रहने से ही सभ्यता और संस्कार जीवित रह सकता है। विलुप्त हो रही संस्कृति को सजोने संवारने की जरूरत है। इसके लिए समाज के सभी लोगों को आगे आना चाहिए । अतिथियों ने ऐसे भव्य कार्यक्रम के लिए आयोजक उमा कांत त्रिपाठी और कृष्णकांत त्रिपाठी की भूरि भूरि प्रशंसा किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम को रमाशंकर शुक्ल जिलाध्यक्ष,सत्य प्रकाश शुक्ल, जयप्रकाश पांडेय, अरुण कुमार तिवारी, राय साहब, डा.अंजनी अमोघ,पंकज तिवारी, सुनील दुबे, दयाशंकर दुबे,सभाजीत मिश्र, कमलेश दुबे,प्रमोद दुबे, सुधाकर दत्त मिश्र, वैदिक विद्वानों ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। आयोजक उमाकांत त्रिपाठी और कृष्णकांत त्रिपाठी द्वारा संस्कृत वैदिक विद्वानों मनीषियों को अंगवस्त्रम धार्मिक ग्रंथ नारियल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस दौरान सम्मान पाकर विद्वान गदगद हो उठे। कार्यक्रम का कुशल संचालन रामानंद ओझा ने किया और अध्यक्षता कुलगुरु रमेश चंद्र शुक्ल ने किया। आयोजक उमाकांत त्रिपाठी, कृष्णकांत त्रिपाठी ने आए हुए अतिथियों के प्रति बहुत-बहुत आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से घनश्याम दुबे, उदय राज पाठक, लालता प्रसाद पांडेय, प्रेम जी मिश्र, अखिलेश मिश्र, विजय दुबे, राधा कृष्ण मिश्र महेश मिश्र, भगवताचार्य, साहित्यकार, शिक्षामनीषी, समाजसेवी, बुद्धिजीवी, क्षेत्रीयजन सहित तमाय लोग मौजूद रहे।

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