अतुल्य भारत चेतना
अखिल सूर्यवंशी
छिन्दवाड़ा। प्रदेश में तापमान में गिरावट जारी है, ऐसे में हृदय रोगियों को अपनी सेहत पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। चिकित्सक डॉ. मीरा पराडकर ने बताया कि यह मौसम हृदय रोगियों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। ठंड के कारण नसें सिकुड़ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्म होने और नसों को सक्रिय करने के लिए रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे हृदय रोग हो सकता है। रक्तचाप में वृद्धि से दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, सर्दियों के दिनों में तैलीय भोजन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है और दिल का दौरा पड़ सकता है। विशेष रूप से बुजुर्गों को ठंड के मौसम में अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए क्योंकि उनका गाढ़ा रक्त उन्हें अधिक जोखिम में डालता है। दिल के दौरे के लक्षणों में सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, बेचैनी, सीने में भारीपन, दबाव, शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द, पसीना आना पैर और हाथ थोड़े ठंडे होना शामिल हैं।
हृदय रोग के रोगियों को जल्दी उठने, सुबह की सैर पर जाने से बचना चाहिए ,गुनगुना पानी पीना चाहिए, गर्म कपड़े पहनने चाहिए और समय पर कम तेल में पका हुआ भोजन करना चाहिए। ये उपाय शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और रक्तचाप को संतुलित बनाए रखने में मदद करते हैं।
डॉ.मीरा पराड़कर ने युवाओं को खासकर दोपहिया वाहन चलाने वालों को सर्दी के मौसम में अपने हाथ, गर्दन और सिर सहित शरीर को अच्छी तरह से ढकने की सलाह देती हैं और सभी को अपना और अपने परिवार का अच्छे से ध्यान रखने की सलाह देती है ।