अतुल्य भारत चेतना
उमेश शेंडे
लांजी/बाघाटोला। हर वर्ष की तरह मनाया गया पोला पर्व। नर्बोद गाव के बहार लिझाया गया में प्राचीन मान्यता है कि पोला पर्व के पश्चात् नारबोद इसलिए मनाया जाता है कि बारिश के मौसम में कई तरह की मौसमी बीमारियों व महामारियों का डेरा जम जाता है। जिन्हें नष्ट करने के लिए गांव-शहर से बाहर निकालने के लिए लोग एक पुतला बनाकर गांव के बाहर ले जाकर जला देते है। किंवदंती है कि इस दिन कृष्ण ने पूतना का विष स्तनपान किया था और पूतना के मर जाने से आसूरी शक्ति का दमन हो गया था। इसलिए इसे आसूरी शक्ति पर विजय के प्रतीक पर्व के रूप में मनाया जाता है। पूतना के पुतले मारबत कहा जाता है। जिसे इस दिन गांव-बस्ती की सीमा से बाहर ले जाकर जलाया जाता है।