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चांद कॉलेज में विदाई समारोह में शिक्षक की मार्गदर्शी भूमिका पर व्याख्यान

By News Desk Aug 2, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
नेहा सिंह

शिक्षक बौद्धिक बौने नहीं, मेधा आलोकित छात्र गढ़ें दान सिंह ठाकुर

मेधावी छात्र निजी संभावनाओं के विकास से नसीब संवारते हैं श्रीराम सिंह वर्मा

प्रतिभावान छात्र बुलंदियों के अंबार लगा देते हैं: राकेश मालवीय

शिक्षक समस्याओं के नहीं, समाधानों के जनक होते हैं परमाल सिंह ठकरिया

शिक्षक कभी भी प्रतिभा के साधारण नहीं होते हैं ऋषि वैष्णव

शिक्षक का भावनात्मक जुड़ाव छात्र को आसमां पर बैठाता है प्रो. अमर सिंह

चांद छिंदवाड़ा। शासकीय महाविद्यालय चांद में व्यक्तित्व विकास और राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग द्वारा सीनियर छात्रों की विदाई समारोह में शिक्षक की मार्गदर्शी भूमिका पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि बतौर चांद नगर परिषद अध्यक्ष श्री दान सिंह पटेल ने कहा कि शिक्षक बौद्धिक बौने नहीं, मेधा आलोकित छात्र पैदा करें। बदले वक्त के पैकेज में न ढलने वाले शिक्षक नकार दिए जाते हैं। मेधावी छात्र वही होते हैं जो अभावों में भी बुलंदियों के अंबार लगा देते हैं। पूर्व प्राचार्य श्रीराम सिंह वर्मा ने कहा कि सही मायनों में विद्यार्थी वही होता है जो स्वयं की संभावनाओं की खोज से अपनी तरसती तकदीर को मुस्कराहट देता है। बिना भावनात्मक जुड़ाव के करिश्माई छात्र का सृजन असंभव है। ऋषि वैष्णव ने कहा कि शिक्षक कभी भी बौद्धिक प्रतिभा के साधारण नहीं होते हैं, वे छात्रों को किसी भी हद तक तराश सकते हैं। शिक्षक कल्याण समिति के अध्यक्ष पोहप सिंह वर्मा ने कहा कि बदले वक्त के पैकेज में न ढलने वाले शिक्षक अपने ही छात्रों द्वारा नकार दिए जाते हैं। प्रेरक वक्ता शिक्षक राकेश मालवीय ने कहा कि मेधावी छात्र वही जो अभावों में बुलंदियों के अंबार लगा दे। सही मायनों में विद्यार्थी वही होता है जो स्वयं की अधिकतम संभावनाओं को विकसित कर तरसती तकदीर को मुस्करा देता है। परमाल सिंह ठकरिया ने कहा कि शिक्षक मानक विचार विमर्श के पर्याय बनकर पारदर्शी कार्यों के सूत्रधार बनें। समाधानों के जनक बनना स्वयं को उस दिशाहीन भीड़ से अलग करना है जो समस्याओं की जनक बनने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखते हैं। प्राचार्य प्रो अमर सिंह ने कहा कि जब तक शिक्षक और छात्र की पारस्परिक भावनात्मक आत्मीयता एक नहीं होगी, तब तक वे एक दूसरे को शैक्षिक अवदानों के दाता/ग्राहक नहीं बन सकेंगे। कोई भी छात्र जीवन में उतनी ही ऊंचाई प्राप्त करता है जितना मजबूत भावनात्मक जुड़ाव उसका अपने गुरू से होता है। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि जो हर रोज अपनी हदों को तोड़ते हैं, वे ही बेहद बनते हैं। हमारी जंग दुनिया से नहीं, खुद से है। प्रो.जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि अपनी खुद्दारी को सतत तराशना ही खुदा हो जाना है। जीवन मातम नहीं, उत्सव मनाने के लिए बना है। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि बेहतरीन खिलाड़ी अंतर्निहित संभावनाओं का वाह्य प्रदर्शन से बनता है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि शिक्षा का भास्कर चेतना की बौद्धिक रश्मियों से विश्व कल्याण करता है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि बंधनों की अकड़न की जकड़न से मुक्ति ही शिक्षा का केंद्रीय उद्देश्य है। प्रो.संतोष उसरेठे ने कहा कि शिक्षक छात्रों को अवधारणात्मक ज्ञान को कार्यसिद्धि में बदलवाकर जगत को उपकृत कर सकते हैं। प्रो रक्षा उपश्याम ने कहा कि संदेह व भय आत्मविश्वास से विकसित होने के मार्ग के सबसे बड़े शत्रु हैं।

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