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Tue. Jun 17th, 2025
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दोहा

लेखक है भगवान का,
साहित्यिक अवदान।
भाव सुघड़ता से बने,
लेखक सदा महान।। (1)

लेखक है संसार में,
ज्ञाना-धन आधार।
बिना धार के पस्त है,
कलम और तलवार।। (2)

लेखक देता है सदा,
दुनिया को सद्ज्ञान।
सत्य भाव करता प्रकट,
होता सबको भान।।(3)

-प्रमोद कश्यप, रतनपुर, बिलासपुर (छ.ग.)

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