
दोहा
लेखक है भगवान का,
साहित्यिक अवदान।
भाव सुघड़ता से बने,
लेखक सदा महान।। (1)
लेखक है संसार में,
ज्ञाना-धन आधार।
बिना धार के पस्त है,
कलम और तलवार।। (2)
लेखक देता है सदा,
दुनिया को सद्ज्ञान।
सत्य भाव करता प्रकट,
होता सबको भान।।(3)
-प्रमोद कश्यप, रतनपुर, बिलासपुर (छ.ग.)
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