अतुल्य भारत चेतना
अमित त्रिपाठी
बहराइच। देसी फ्रिज यानी कि मटका अब विलुप्त होने की कगार पर है। जबकि मिट्टी से बना मटके का उपयोग शहर और ग्रामीण क्षेत्र के लोग गर्मी के दिनों में शुद्ध और शीतल पेय जल के लिए करते थे। मटका में पानी भरने के बाद उसके नीचे रेत डालकर रख देते थे। जिससे पानी शीतल बना रहता था। साथ ही मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए काफी बेहतर माना जाता है। कुम्हार अब मिट्टी न मिलने को लेकर कुम्हारीकला पर संकट की बात कह रहे हैं। किसी तरीके से महंगी मिट्टी खरीद कर मटका तैयार भी करते हैं तो खरीदारों की कमी है। इसका कारण है कि लोगों के घरों में इलेक्ट्रॉनिक फ्रिज का मौजूद होना है। इतना ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक फ्रिज चाय, पान और कोल्ड ड्रिंक की दुकानों पर भी पाई जाती है। जिससे मटके के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है।

वैसे इलेक्ट्रॉनिक फ्रिज से निकलने वाली सीएफसी गैस वातावरण को प्रदूषित करने के साथ गंभीर रोगों को जन्म देती है। रसायन विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार मिश्र का कहना है कि सीएफसी गैस के कारण यहां फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। दूसरी तरफ मिट्टी के मटके में पानी ठंडा होने के साथ शरीर के लिए फायदेमंद होता है। जबकि फ्रिज से ठंडा किया गया पानी स्वास्थ्य के लिए घातक बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि बहराइच के पानी में आर्सेनिक अधिक पाया जाता है। मटके में पानी रखने से उसमें आर्सेनिक की मात्रा कम हो जाती है। इतना ही नहीं मटके का प्रयोग स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से तो बेहतर है ही इससे बिजली का बिल भी कम आता है और लोगों को प्रतिमाह अच्छी खासी बचत हो जाती है।
इन हालातों में गरीबों का फ्रिज अर्थात मटका पर्यावरण, स्वास्थ्य तथा आर्थिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में गरीब लोगों के साथ अमीर और सामान्य परिवार के लोगों के लिए भी मटका, कुल्हड़ तथा मिट्टी के बने अन्य बर्तन बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
एमएलसी ने मटका को बताया बेहतर उपयोगी, खरीदने की कर डाली अपील
बहराइच। विधान परिषद सदस्य बहराइच श्रावस्ती डॉक्टर प्रज्ञा त्रिपाठी ने आमजन से अपील की है कि वह मिट्टी से बने बर्तनों का अधिक प्रयोग करें। मिट्टी से बना मटका लोगों को शुद्ध पानी पीने के लिए उपलब्ध कराता है। डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि सतह से 90 फुट की गहराई तक का पानी आर्सेनिक युक्त है। आर्सेनिक युक्त पानी के इस्तेमाल से लोग गंभीर रोग की चपेट में आते हैं। खासकर पेट रोग से लोग पीड़ित रहते हैं। पेट फूलना, कब्ज होना, फेफड़ों की बीमारी होना आम है। उन्होंने बताया कि आर्सेनिक युक्त पानी पीने से लोगों में पीलिया, यकृत की बीमारी और गुर्देकी बीमारी का भी खतरा रहता है। ग्रामीणों का फ्रिज कहा जाने वाला मटका गर्मी के दिनों में शुद्ध पेयजल के साथ शीतल जल उपलब्ध कराता है। ग्रामीण कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं। उन्होंने मिट्टी का बर्तन बनाने वाले एक दुकानदार की दुकान पर खड़े होकर लोगों से गर्मी के दिनों में शुद्ध और शीतल जल पीने के लिए मटका खरीदने की अपील की। यारी कहा कि लोग इसका पानी इस्तेमाल करने से कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं। वहीं कहा कि इससे कई लोगों को रोजगार मिल सकता है।
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